79 साल की उम्र में डॉक्टर की क्लास रूम में वापसी, IIT कानपुर से करेंगी PhD
Advertisement
trendingNow12056584

79 साल की उम्र में डॉक्टर की क्लास रूम में वापसी, IIT कानपुर से करेंगी PhD

Paediatric Surgeon Dr Saroj: अपने लंबे और शानदार करियर के दौरान, डॉ. गोपाल ने बाल चिकित्सा सर्जरी में नई तकनीकें विकसित की हैं और गरीबों के लिए इलाज को सुलभ बनाने के लिए कम लागत वाले इनोवेशन तैयार किए हैं.

79 साल की उम्र में डॉक्टर की क्लास रूम में वापसी, IIT कानपुर से करेंगी PhD

Dr Saroj Chooramani Gopal: डॉ. सरोज चूरामनी गोपाल कई प्रतिभाओं वाली महिला हैं. अपने आगरा कॉलेज में  पीजी जनरल सर्जरी की पहली फीमेल स्टूडेंट; बाल चिकित्सा सर्जरी में सुपरस्पेशलिटी वाली पहली भारतीय महिला; लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की पहली महिला कुलपति.

79 साल की उम्र में भी उनका काम पूरा नहीं हुआ है. डॉ. गोपाल अब कक्षा में वापस आ गए हैं, उन्होंने 10 जनवरी को आईआईटी कानपुर में पीएचडी के लिए दाखिला लिया था. उनका रिसर्च, जिसे वह अब आईआईटी कानपुर के जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग में आगे बढ़ाएंगी, इस बात पर फोकस करेगा कि किसी व्यक्ति के बॉन मैरो से स्टेम सेल्स कैसे बनती हैं या एबडॉनिमल लाइनिंग क्षतिग्रस्त रीढ़ की नसों के रीजनरेशन में मदद कर सकती है, जिससे रीढ़ की हड्डी की चोट वाले पैसेंट्स को अपने पैरों पर वापस आने में मदद मिल सकती है.

अपने लंबे और शानदार करियर के दौरान, डॉ. गोपाल ने बाल चिकित्सा सर्जरी में नई तकनीकें विकसित की हैं और गरीबों के लिए इलाज को सुलभ बनाने के लिए कम लागत वाले इनोवेशन तैयार किए हैं - उनमें हाइड्रोसिफ़लस (मस्तिष्क में तरल पदार्थ का निर्माण) के लिए एक नया स्टेंट और बच्चो के लिए एक ह्यूमिडिफायर शामिल है. वह पद्म श्री के साथ-साथ फिजिशियन के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान, डॉ. बीसी रॉय पुरस्कार की पा चुकी हैं.

आगरा के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएशन की स्टूडेंट के रूप में डॉ. गोपाल की रीजेनरेटिव मेडिसिन में रुचि जगाई. उन्होंने कहा, "मुझे याद है कि बच्चा मेनिंगोमीलोसेले नाम की बीमारी के साथ पैदा हुआ था - एक ऐसी स्थिति जहां जन्म के समय बच्चे की रीढ़ की हड्डी खराब हो जाती है. हमारे लिए यह क्लियर था कि बच्चा चलने या मल त्याग को कंट्रोल करने में सक्षम नहीं होगा. जब मैंने अपने सीनियर से पूछा कि हम बच्चे के लिए क्या कर सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं किया जा सकता है. मैंने तभी ठान लिया था कि ऐसे बच्चों के लिए कोई रास्ता ढूंढूंगी." द इंडियन एक्सप्रेस को डॉ. गोपाल ने इसके बारे में बताया.

जबकि इस मामले ने रीजेनरेटिव मेडिसिन  में कटिंग एज ग्लोबल रिसर्च में उनकी जिज्ञासा जगाई, उन्होंने अपनी मेडिकल ट्रेनिंग जारी रखी. 1973 में, उन्होंने एम्स दिल्ली से बाल चिकित्सा सर्जरी में अपनी सुपर-स्पेशलाइजेशन पूरी की. उन्होंने कहा कि, "मैं बाल चिकित्सा सर्जरी में एमसीएच (सुपर स्पेशलाइजेशन) पूरा करने वाली पहली व्यक्ति बन गई. यह कोर्स एम्स नई दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, केईएम मुंबई और एग्मोर इंस्टीट्यूट चेन्नई में एक-एक उम्मीदवार के लिए एक साथ शुरू किया गया था. जबकि मैंने अपना एमसीएच तीन साल में पूरा किया, दूसरों को एक साल एक्स्ट्रा लगा."

Trending news