IAS Success Story: कलेक्टर बन गया रेलवे स्टेशन का कुली, एक मेमोरी कार्ड फोन और ईयरफोन से ऐसे की तैयारी
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IAS Success Story: कलेक्टर बन गया रेलवे स्टेशन का कुली, एक मेमोरी कार्ड फोन और ईयरफोन से ऐसे की तैयारी

IAS Sreenath K story: परीक्षाओं की तैयारी करने के बाद उन्होंने ग्राम सहायक के पद के लिए केरल लोक सेवा परीक्षा में हिस्सा लिया और कुल 82 फीसदी नंबरों के साथ पास हुए.

IAS Success Story: कलेक्टर बन गया रेलवे स्टेशन का कुली, एक मेमोरी कार्ड फोन और ईयरफोन से ऐसे की तैयारी

UPSC Success Story: भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना कठिन है, लेकिन केरल के इस कुली ने केरल लोक सेवा परीक्षा को पास करने और आईएएस में अपने लिए जगह बनाने में कामयाबी हासिल की. केरल के कुली श्रीनाथ के ने रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध मुफ्त वाई-फाई की मदद से केपीएससी केएएस परीक्षा पास की. मुन्नार के रहने वाले श्रीनाथ के कोचीन रेलवे स्टेशन पर कुली का काम किया था. अपने और अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन की आकांक्षा रखते हुए, श्रीनाथ ने सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया.

हालांकि, अपने काम के समय और बोझ के कारण, वह अक्सर खुद को पढ़ाई के लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था. 2016 में, रेलटेल और गूगल ने भारत के कई रेलवे स्टेशनों पर फ्री वाई-फाई लॉन्च किया. फ्री वाई-फाई की शुरुआत के बाद, श्रीनाथ काम करते हुए पढ़ाई करने में सक्षम हो गए. वह ऑडियोबुक और वीडियो डाउनलोड किए और काम करते हुए केपीएससी परीक्षा की तैयारी की. 

कोचिंग और एक्सट्रा क्लासेज पर खर्च करने वाले कई अन्य कैंडिडेट्स के उलट, श्रीनाथ ने अपना पैसा एक मेमोरी कार्ड, फोन और एक जोड़ी ईयरफोन पर खर्च किया. परीक्षाओं की तैयारी करने के बाद उन्होंने ग्राम सहायक के पद के लिए केरल लोक सेवा परीक्षा में हिस्सा लिया और कुल 82 फीसदी नंबरों के साथ पास हुए. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल ने भी श्रीनाथ को 2018 में उनकी उपलब्धि पर बधाई दी थी, जब उनकी कहानी Google इंडिया द्वारा शेयर की गई थी.

श्रीनाथ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए उपस्थित हुए और यूपीएससी सीएसई में अपने चौथे अटेंप्ट के बाद आईएएस अधिकारी बन गए. रेलवे स्टेशन पर वह ऑथराइज्ड कुली थे लेकिन 2018 में 27 साल की उम्र में उन्होंने महसूस किया कि कुली की आय उनके परिवार के लिए पर्याप्त नहीं थी. उस समय उनकी एक साल की बेटी भी थी. इसलिए बेटी को अच्छा बचपन देने के लिए उन्होंने और बेहतर करने का फैसला किया.

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