Intraday Trading: इंट्राडे ट्रेडिंग में सही जोखिम प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए किसी को अपनी कुल व्यापारिक पूंजी का दो प्रतिशत से अधिक का जोखिम एक ही ट्रेड पर नहीं उठाना चाहिए. नुकसान से बचने के लिए विशेष रूप से नौसिखियों के लिए इस तरह के व्यापार की मूल बातें समझना महत्वपूर्ण है.
Trading Tips: नियमित स्टॉक मार्केट में निवेश करने की तुलना में इंट्राडे ट्रेडिंग जोखिम भरा काम है. शेयर बाजारों की उच्च अस्थिरता के कारण अधिकांश ट्रेडर, विशेष रूप से शुरुआती लोग इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसा खो देते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में सही जोखिम प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए किसी को अपनी कुल व्यापारिक पूंजी का दो प्रतिशत से अधिक का जोखिम एक ही ट्रेड पर नहीं उठाना चाहिए. नुकसान से बचने के लिए विशेष रूप से नौसिखियों के लिए इस तरह के व्यापार की मूल बातें समझना महत्वपूर्ण है. आइए जानते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग को लेकर क्या-क्या बातें ध्यान में रखनी चाहिए...
दो या तीन लिक्विड शेयर चुनें- इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडिंग सत्र के अंत से पहले ओपन पोजीशन को स्क्वेर करना शामिल है. यही कारण है कि दो या तीन ऐसे लार्ज-कैप शेयरों को चुनने की सिफारिश की जाती है जो अत्यधिक लिक्विड हों. मिड-साइज या स्मॉल-कैप में निवेश करने से निवेशक को कम ट्रेडिंग वॉल्यूम के कारण इन शेयरों को होल्ड करना पड़ सकता है.
रणनीति- इंट्राडे ट्रेडिंग में टारगेट प्राइज पूरा नहीं होने की स्थिति में डे ट्रेडर्स के लिए शेयरों की डिलीवरी लेना आम बात है. लोग अपने पैसे वापस कमाने के लिए कीमत के ठीक होने का इंतजार करता है और शेयर को होल्ड करके बैठ जाते हैं. अगर ट्रेडिंग करनी है तो इस मानसिकता से निकलना होगा और अपनी रणनीति ट्रेडिंग के हिसाब से ही रखनी होगी न की इंवेस्टमेंट के हिसाब से रखनी है.
विशलिस्ट पर ध्यान दें- निवेशक अपनी 8-10 शेयरों की सूची बना ले और उसी के हिसाब से ट्रेडिंग करें. इन 8-10 शेयरों के बारे में काफी रिसर्च की जानी जरूरी है. इसके साथ ही इन शेयरों के टेक्निकल चार्ट, टारगेट प्राइज, सपोर्ट प्राइज आदि का भी ध्यान रखें.
बाजार के उलट मत चलें- हमेशा बाजार के साथ चलना चाहिए. बाजार जिस दिशा में जा रहा है, आप भी ट्रेडिंग के दौरान उसी दिशा में जाएं. अगर आप बाजार की उलट चलते हैं तो ट्रेडिंग में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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