Indian Currency: भारतीय रुपये के लिए कुछ सुझाव एक रिपोर्ट में दिए गए हैं. इसमें कहा गया है कि भारत को पहले मध्यम आय वाला देश बनना चाहिए और फिर भारतीय रुपये को दृढ़ मुद्रा बनाने पर जोर देना चाहिए. आइए जानते हैं पूरा अपडेट...
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Rupees: भारत की ओर से अपनी मुद्रा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसके साथ ही कई देशों से रुपये में व्यापार करने के लिए भी भारत सरकार की ओर से कदम उठाए गए हैं. हालांकि इस बीच रुपये को लेकर एक अहम जानकारी सामने आई है. साथ ही रुपये को और मजबूत बनाने के लिए भी सुझाव दिए गए हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में...
मध्यम आय वाला देश
थिंक टैंक जीटीआरआई ने एक रिपोर्ट में भारतीय रुपये के लिए सुझाव दिया है. इसमें कहा गया है कि भारत को पहले मध्यम आय वाला देश बनना चाहिए और फिर भारतीय रुपये को दृढ़ मुद्रा बनाने पर जोर देना चाहिए. इसके साथ ही जीटीआरआई ने कहा कि ऐसा होने तक स्थानीय मुद्रा में वैश्विक व्यापार के निपटान को बढ़ावा देना चाहिए.
दृढ़ मुद्रा बनाना एक जटिल प्रक्रिया
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक, किसी भी मुद्रा को दृढ़ मुद्रा बनाना एक जटिल प्रक्रिया है, जो कई महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करती है. विदेश व्यापार के लिए विनिमय आसान हो और जिसके गिरने की आशंका बहुत कम हो, उसे दृढ़ मुद्रा कहते हैं. अमेरिकी डॉलर सबसे प्रमुख दृढ़ मुद्रा है, जिसे अक्सर दुनिया की प्राथमिक आरक्षित मुद्रा माना जाता है. इसका उपयोग अधिकांश अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में होता है.
आर्थिक स्थिरता सबसे ऊपर
थिंक टैंक ने कहा कि आर्थिक स्थिरता सबसे ऊपर है और किसी देश को कम और स्थिर मुद्रास्फीति, निरंतर वृद्धि और एक संतुलित व्यापार वातावरण के लिए काम करना चाहिए. आर्थिक स्थिरता अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और व्यापारिक साझेदारों के बीच भरोसे को मजबूत करती है. जीटीआरआई ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह बाहरी संस्थाओं को देश की आर्थिक स्थिरता के बारे में आश्वस्त करती है.
विश्वसनीय और स्थिर भंडार
अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए दुनिया भर में दृढ़ मुद्राओं को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है और इन्हें मूल्य का एक विश्वसनीय और स्थिर भंडार माना जाता है. (इनपुट: भाषा)