Indian Railways: क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि ट्रेनों को खींचने में इस्तेमाल होने वाले लोहे के पहियों का वजन कितना होता होगा. वे पहिये इतने शक्तिशाली होते हैं कि एक बार किसी के ऊपर गिर जाएं तो उसकी कई सारी हड्डियां टूटना तय है.
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Weight of Train Wheel: भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क (Indian Railways) है. यह सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाला देश का सबसे बड़ा सरकारी निकाय भी है. करोड़ों लोग ट्रेनों के जरिए रोजाना एक जगह से दूसरी जगहों पर जाते हैं. आप इसे भारत की लाइफलाइन भी कह सकते हैं. इन भारी-भरकम ट्रेनों के एक जगह से दूसरी जगहों पर खींचने का काम उनके लोहे के पहिये करते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि उन पहियों का वजन कितना होता होगा. आज हम इस बारे में आपको दिलचस्प जानकारी देते हैं.
डिब्बों में लगे एक पहिये का वेट
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) अनुसार ट्रेन (Indian Railways) के इंजन और डिब्बो में अलग-अलग वजन वाले पहिये लगाए जाते हैं. लाल रंग के दिखने वाले LHB डिब्बों में एक पहिये का वजन 326 किलो के आसपास होता है. जबकि ब्रॉड गेज पर चलने वाली सामान्य ट्रेनों के डिब्बे में लगे एक पहिये का वजन 384 से 394 किलो तक पाया जाता है. वहीं EMU ट्रेन के डिब्बों में एक पहिये का वजन करीब 423 किलो तक होता है.
इंजन में लगे एक पहिये का वजन
अब हम आपको इंजन में लगे पहियों के वजन के बारे में बताते हैं. नैरो गेज पर चलने वाली ट्रेन (Indian Railways) के इंजन के एक पहिये का वजन 144 किलो के आसपास होता है. वहीं मीटर गेज पर चलने वाले इंजन के एक पहिये का वजन आमतौर पर 421 किलो के आसपास पाया जाता है. जबकि डीजल इंजन में लगे एक पहिये का वजन लगभग 528 किलो और इलेक्ट्रिक इंजन के एक पहिये का वजन 554 किलो तक का होता है.
इंजन में ज्यादा वजन वाले पहिये क्यों?
इंजनों में ज्यादा वजन के पहिये लगाने के पीछे का लॉजिक ये होता है कि इंजन को ही पूरी ट्रेन खींचनी होती है. इसलिए अगर उसके पहिये डिब्बों की तुलना में कम वजन वाले होंगे तो वे भारी-भरकम ट्रेन को अपने पीछे खींच नहीं सकेंगे. यही वजह है कि डिब्बों की तुलना में ट्रेन के इंजन के पहियों का वजन ज्यादा रखा जाता है.
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