Adani hindenburg: हिंडनबर्ग पर क्‍यों नहीं ले सकते हैं लीगल एक्‍शन? वकील हरीश साल्वे ने बताई वजह
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Adani hindenburg: हिंडनबर्ग पर क्‍यों नहीं ले सकते हैं लीगल एक्‍शन? वकील हरीश साल्वे ने बताई वजह

Harish salve: हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर अब वरिष्ठ वकील और देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने भी अपनी बात रखी है. उनका कहना है कि यह रिपोर्ट भारत और भारतीयों पर हमला है. अडानी की संपत्तियां रेगुलेटेड हैं और इस ग्रुप की कंपनियां भी लिस्टिड है और इनके सभी रिकॉर्ड पब्लिक डोमेन में हैं. ऐसे में इस रिपोर्ट से जो निकला वह बेतूका है. 

फाइल फोटो

Adani news: देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल रह चुके हरीश साल्वे ने एक इंटरव्‍यू में हिंडनबर्ग अडानी मामले पर अपनी राय रखी है. उन्‍होंने बताया है कि अगर हिंडनबर्ग पर केस भी कर दें तो ये मुकदमा गौतम अडानी के पोते भी लड़ते रहेंगे. उन्‍होंने कहा कि एक समय था जब हम ब्रिटिश कारोबारियों को भारत में निवेश करने के लिए मनाते थे, लेकिन आज दुनिया की डायनैमिक्स में बहुत बदलाव आ चुका है. उनका कहना है कि यह रिपोर्ट भारतीयों पर हमला है. उन्‍होंने विपक्ष को लेकर भी अपनी राय रखी. साल्‍वे का कहना है कि विपक्ष के लिए गौतम अडानी बलि का बकरा है.          

हिंडनबर्ग पर केस किया तो अडानी के पोते लड़ते रहेंगे केस 

हरीश साल्वे ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर निशाना साधा है और उन्‍होंने कहा है कि हमें यह जानना जरूरी है कि यह शॉर्ट सेलिंग फर्म है. ये लोग आरोप लगाते हैं और पैसा कमाते हैं. भारत में हिंडनबर्ग पर केस करने का कोई मतलब नहीं है. उनका कहना है कि यहां इस मामले को लेकर कोई कानूनी ढांचा ही नहीं है. अगर हम उन पर मानहानि का केस कर भी देंगे तो गौतम के पोते यह केस अदालत में लड़ते रहेंगे. 

मुकदमा करने का फायदा क्‍यों नहीं? 

हरीश साल्वे कहते हैं कि अमेरिका में हिंडनबर्ग पर केस इसलिए नहीं कर सकते हैं क्योंकि वहां पर वे पूछेंगे कि इसका असर सबसे ज्‍यादा कहां हुआ? हमारी ओर से जवाब होगा...भारत. ऐसे में वे दो टूक बोलेंगे कि यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है. इस वजह से वहां केस करना मुश्किल है. 

निवेशकों का विश्‍वास जीतना जरूरी 
 
हरीश साल्वे का कहना है कि जब भी कोई कंपनी अपना FPO लेकर आती है तो ऐसा माना जाता है कि कंपनी पर आरोप लगाने का सबसे सही समय है. बाजार में उथल पुथल होती है तब तक इंवेस्‍टर्स में भी डर रहता है. ऐसे में कोई भी कंपनी को साख बनाने के लिए निवेशकों का विश्वास जीतना जरूरी होता है और उसमें समय लगता है. लेकिन ये विश्‍वास जरा सी देर में टूट भी जाता है. 

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