FPI Data: बीते सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से भी नीचे पहुंच गया जो कि इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है. एफपीआई ने खास तौर पर वित्त, एफएमसीजी और आईटी क्षेत्रों में बिकवाली की है. इक्विटी बाजारों के अलावा विदेशी निवेशकों ने ऋण बाजार से भी अक्बूटर में 1,950 करोड़ रुपये की निकासी की है.
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Share Market: भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का हमेशा से बोलबाला देखने को मिला है. विदेशी निवेशक बाजार की दिशा तय करने में भी काफी बार अहम भूमिका निभा चुके हैं. इस बीच विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6,000 करोड़ रुपये की निकासी की है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ रही गिरावट से इस निकासी को बल मिला. इसके साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) ने वर्ष 2022 के कैलेंडर साल में अब तक कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर ली है.
जारी रह सकता है सिलसिला
कोटक सिक्योरिटीज में इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि आने वाले समय में भी एफपीआई की गतिविधियों के उतार-चढ़ाव से भरपूर रहने की ही स्थिति दिख रही है. उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक जोखिम बने रहने, मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर और बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि की उम्मीद से एफपीआई की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है.
इन पर करेगा निर्भर
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, "एफपीआई के निकट अवधि में ज्यादा बिक्री करने की संभावना नहीं है लेकिन डॉलर में कमजोरी आने के बाद ही वे खरीदार की स्थिति में लौटेंगे. इस तरह एफपीआई का रुख अमेरिकी मुद्रास्फीति के रुझान और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नजरिये पर निर्भर करेगा."
मिल रही मजबूती
डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने अक्टूबर में अब तक 5,992 करोड़ रुपये की निकासी भारतीय बाजार से कर ली है. यह जरूर है कि पिछले कुछ दिनों में उनकी निकासी की मात्रा में थोड़ी गिरावट आई है. बाजार विश्लेषकों का मानना है कि एफपीआई की बिकवाली के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों के खरीदार बने रहने से शेयर बाजारों को मजबूती मिल रही है.
बढ़ी हुई कीमत चुकानी होगी
विजयकुमार ने कहा, "अगर एफपीआई पहले बेचे गए शेयर को ही आज के समय में खरीदना चाहेंगे तो उन्हें उसकी बढ़ी हुई कीमत चुकानी होगी. यह अहसास नकारात्मक माहौल में भी एफपीआई की बिकवाली को रोकने का काम कर रहा है." सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से करीब 7,600 करोड़ रुपये की निकासी की थी. डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सख्त रुख से एफपीआई के बीच बिकवाली का जोर रहा था.
निकासी की मुख्य वजह
अपसाइड एआई की सह-संस्थापक कनिका अग्रवाल ने कहा, "भारत से संबंधित किसी जोखिम के बजाय डॉलर को मिल रही मजबूती विदेशी निवेशकों की इस निकासी की मुख्य वजह रही है." बीते सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से भी नीचे पहुंच गया जो कि इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है. एफपीआई ने खास तौर पर वित्त, एफएमसीजी और आईटी क्षेत्रों में बिकवाली की है. इक्विटी बाजारों के अलावा विदेशी निवेशकों ने ऋण बाजार से भी अक्बूटर में 1,950 करोड़ रुपये की निकासी की है. (इनपुट: भाषा)
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