Bajaj Finance पर RBI का एक्शन, 2.5 करोड़ की पेनल्टी लगाई, जानिए क्या थी वजह
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Bajaj Finance पर RBI का एक्शन, 2.5 करोड़ की पेनल्टी लगाई, जानिए क्या थी वजह

Bajaj Finance Penalty: रिजर्व बैंक रेगुलेटरी कंप्लायंस को लेकर काफी सख्त है. नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी बजाज फाइनेंस को अपने ग्राहकों से रिकवरी के लिए गलत तरीके अपनाने का खामियाजा भुगतना पड़ा है. ये कार्रवाई उन सभी वित्तीय संस्थाओं के लिए सबक है, जो रिकवरी के लिए ग्राहकों को प्रताड़ित करती हैं.

Bajaj Finance पर क्यों लगा 2.5 करोड़ का जुर्माना, ये है आपके काम की खबर

नई दिल्‍ली. NBFC Bajaj Finance को रिकवरी के लिए ग्राहकों सताना भारी पड़ गया. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्‍तीय सेवाएं देने वाली कंपनी बजाज फाइनेंस (Bajaj Finance) पर 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. Bajaj Finance पर गलत तरीके इस्तेमाल करते हुए ग्राहकों से वसूली करने का आरोप है, जो कि रिजर्व बैंक के रेगुलेटरी नियमों के खिलाफ हैं.

ग्राहकों की शिकायतों के बाद हुई कार्रवाई

रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि Bajaj Finance के खिलाफ ग्राहकों की कई शिकायतें मिल रहीं थीं. Bajaj Finance के खिलाफ रिकवरी और कलेक्‍शन के लिए गलत तरीकों (Recovery & Collection Methods) के इस्‍तेमाल की शिकायतों के बाद RBI ने ये एक्शन लिया है. Bajaj Finance के खिलाफ निष्पक्ष व्यवहार संहिता (FPC) के उल्लघंन की शिकायतें भी मिली थीं. ऐसे में कंपनी पर रेग्‍युलेटरी नियमों का उल्‍लंघन करने के लिए यह जुर्माना लगाया गया है. 

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'ग्राहकों का उत्‍पीड़न नहीं रोक पाई कंपनी'

Bajaj Finance पर RBI एक्‍ट, 1934 (RBI Act] 1934) की धारा-58G की उपधारा-1 के क्‍लॉज (B) को धारा-58B की उपधारा-5 के क्‍लॉज-aa के साथ पढ़ने पर मिली शक्तियों के तहत यह कार्रवाई की. रिजर्व बैंक आरबीआई के मुताबिक, कंपनी यह सुनिश्चित नहीं कर पाई कि जब उसके रिकवरी एजेंट ग्राहकों से वसूली करने जाएं तो उनका उत्‍पीड़न ना होने पाए.

Bajaj Finance रेगुलेटरी कंप्लायंस में फेल! 

रिजर्व बैंक ने जुर्माना लगाने से पहले बजाज फाइनेंस को कारण बताओ नोटिस भी भेजा था, जिसमें रिजर्व बैंक ने पूछा था कि नियमों के उल्‍लंघन के मामले में क्‍यों ना कंपनी के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जाए. इस पर मिले जवाब के बाद RBI ने फैसला किया कि कंपनी पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए. RBI ने कहा कि यह कार्रवाई रेगुलेटरी कंप्लायंस में कमियों पर आधारित है. साथ ही कहा कि जुर्माने की कार्रवाई का कंपनी की ओर से अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल उठाने का कोई इरादा नहीं है.

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