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Why Seat Belts Necessary: हमारे देश में नियम बाद में लागू होते हैं, उसका तोड़ पहले ही तैयार हो जाता है. अब चाहे ये नियम लोगों की सुरक्षा से ही क्यों ना जुड़े हों. अभी हाल ही में साइरस मिस्त्री की मौत एक कार एक्सीडेंट में हो गई थी, उनकी मौत का एक बड़ा कारण था, सीटबेल्ट ना लगाना. हमने DNA में आपको सीटबेल्ट ना लगाने के खतरों के बारे में बताया था. लेकिन यहां लोग नियम का पालन करने से ज्यादा जुगाड़ पर ज्यादा विश्वास करते हैं. यहां का जुगाड़ तंत्र देखकर बड़ी-बड़ी कार कंपनियां, सड़क सुरक्षा नियम बनाने वाले लोग और आप, हैरान हो जाएंगे.
नियम को बाइपास करने के लिए जुगाड़ टेक्नॉलजी
आप जानते ही हैं कि भारत में हर नियम को बाइपास करने के लिए, एक जुगाड़ टेक्नॉलजी बना ली जाती है. सरकार ने कारों में सुरक्षा के लिए सीटबेल्ट का नियम बनाया, तो लोगों ने कहा कि वो सीटबेल्ट लगाना भूल जाते हैं. सरकार ने सीटबेल्ट को याद दिलाने के लिए बीप साउंड वाला सिस्टम तैयार किया. ताकी अगर किसी चालक ने सीटबेल्ट ना लगाई हो, तो बीप साउंड उसे सीटबेल्ट की याद दिला दे. लेकिन अब किसी खुराफाती दिमाग ने, सीटबेल्ट साइन की बोलती बंद करने के लिए एक जुगाड़ बना लिया है. और ये जुगाड़ सड़क पर लोगों को सीटबेल्ट ना लगाने के लिए उकसा रहा है.
सीट बेल्ट की जगह इस जुगाड़ पर भरोसा
पहली नजर में इसे देखकर समझ में ही नहीं आता कि ये चीज क्या है. लेकिन ये वो जुगाड़ है,जो लोगों को सीटबेल्ट की चेतावनी देने वाले साइन को धोखा दे देता है. ये एक CLIP जैसा है, जिसे सीटबेल्ट से बचने के लिए लोग जानबूझकर सीटबेल्ट होल्डर में फिट कर देते हैं. इससे सीटबेल्ट की याद दिलाने वाले साइन ऑफ हो जाता है. ये CLIP सीटबेल्ट की चेतावनी से तो बचा लेता है, लेकिन ये, ना मौत से बचाएगा, ना ही चालान से. इसीलिए हम लोगों को जागरुक करने और सीटबेल्ट पहनने को लेकर गंभीर कदम उठाने की अपील कर रहे हैं. आप हमारी इस मुहिम में अपनी राय रख सकते है- ट्विटर पर हैशटैग YES TO SEATBELT- के साथ आपनी राय दे सकते हैं.
हर नियम तोड़ने में माहिर भारतीय
वैसे हमारे देश के कुछ नागरिकों में एक सोच बन गई है, कि सरकार अगर कोई नियम लेकर आए, तो पहले उसका तोड़ निकाल लिया जाए. जैसे कार में सीटबेल्ट पहनना अनिवार्य है, तो मार्केट में ये क्लिप आ गई. दोपहिया वाहन पर हेलमेट पहनने का नियम है. तो लोगों ने हेलमेट को अपनी कोहनी पर पहनना शुरू कर दिया है. जैसे ही ट्रैफिक पुलिसकर्मी दिखता है, हेलमेट को सिर पर पहन लेते हैं, और जैसे ही वो चला जाता है, वैसे ही फिर कोहनी पर पहन लेते हैं. कोरोना काल में मास्क पहनने का नियम बनाया गया, तो लोगों ने उसे नाक और मुंह के बजाए, कभी कान पर, कभी ठोढ़ी पर, तो कभी गर्दन पर पहनना शुरू कर दिया.
अपनी ही जिंदगी से खिलवाड़
मतलब ये है कि भारत में नियम भले ही जनता के लिए बनें, लेकिन जनता उनको स्वीकार नहीं करती है. ऐसा नहीं है कि देश का हर नागरिक नियम तोड़ता है. लेकिन आप देखेंगे कि सड़क पर निकलने वाले 100 में से 40 आपको ऐसे ही लोग मिलेंगे, जो किसी ना किसी तरह का नियम तोड़ते नजर आएंगे. अब चाहे हेलमेट ना पहनना हो, या सीटबेल्ट ना लगाना, या फिर अपनी लेन में ना चलना, केवल यही नहीं स्पीड लिमिट तोड़ते भी लोग नजर आ जाते हैं.
कार में सीटबेल्ट लगाना बेहद जरूरी
कार में सीटबेल्ट, आपकी जान बचाने के लिए होती है. लेकिन बावजूद इसके लोग सीट बेल्ट ना लगाने के अलग-अलग तरीके निकाल लेते हैं. ये छोटी सी क्लिप लगाकर, लोगों को ये लगता है कि उन्हें बेल्ट के बंधनों से मुक्ति मिल गई. लेकिन वो भूल जाते हैं कि, ये क्लिप ही उनकी मौत का कारण बन सकती है. ये ना तो चालान से बचाएगी ना ही चित्रगुप्त से. चित्रगुप्त को तो जानते ही होंगे आप, उन्हें आप मृत्यु के देवता यमराज का अकाउंटेंट समझ सकते हैं. सुरक्षा नियमों को ना मानने वाली असुरक्षित सोच ही, सड़क दुर्घटनाओं और उनमें होने वाली मौतों का कारण है. हमारे यहां सड़क सुरक्षा का नियम पालन, केवल चालान से बचने के लिए किया जाता है. अब चाहे इन नियम को तोड़ने की वजह से जान ही क्यों ना चली जाए.
चौंकाने वाले आंकड़े
NCRB के मुताबिक हमारे देश में हर 100 कार दुर्घटनाओं में 37 लोगों की मौत हो जाती है.
वर्ष 2020 में करीब साढ़े तीन लाख एक्सीडेंट हुए थे, जिसमें 1 लाख 33 हजार 201 लोगों की मौत हो गई थी.
वर्ष 2019 में करीब 4 लाख 40 हजार एक्सीडेंट हुए थे, जिसमें 1 लाख 54 हजार 732 लोगों की मौत हो गई थी.
वर्ष 2018 में करीब साढ़े चार लाख एक्सीडेंट हुए थे, जिसमें 1 लाख 52 हजार 780 लोगों की मौत हुई थी.
सड़क पर चलना सेफ नहीं
इन आंकड़ों से एक बात साफ है कि देश में सड़क पर चलना, उतना सेफ नहीं है, जितना आप समझते हैं. इसीलिए नियम का पालन, आपके लिए और सड़क पर चल रहे अन्य लोगों के लिए जरूरी है. सरकार इसी वजह से सड़क यातायात से जुड़े सुरक्षा नियम बनाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 3 सालों में केवल सीटबेल्ट ना लगाने की वजह से ही हजारों लोगों को मौत हो चुकी है. वर्ष 2018 में सीटबेल्ट ना लगाने की वजह से 16.14 प्रतिशत लोगों की मौत हुई थी. 2018 में 24 हजार 435 लोगों की मौत का कारण सीटबेल्ट ना पहनना था. वर्ष 2019 में 13.82 प्रतिशत लोग, सीटबेल्ट ना लगाने की वजह से मारे गए थे. यानी देश के 20 हजार 885 लोग, सीटबेल्ट वाले नियमों को लेकर लापरवाह थे, इसलिए उनकी मौत हो गई. वर्ष 2020 में 11.50 प्रतिशत लोगों की मौत सीटबेल्ट ना लगाने के वजह से हुई थी. ये संख्या थी करीब 15 हजार 146.
WHO की चौंकाने वाली रिपोर्ट
मतलब ये है कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली वाली मौतों में, एक बड़ी संख्या उन लोगों की है, जो सीटबेल्ट नहीं पहनते हैं. मुमकिन है कि वो सीटबेल्ट के नियम को लेकर लापरवाह रहते हों, या फिर इसी तरह की क्लिप लगाकर सीटबेल्ट लगाने की चेतावनी देने वाले अलार्म को बंद कर देते हों. ये सारे आंकड़े आपको हमने केवल इसलिए बताए हैं, ताकि अगली बार सड़क पर निकलने से पहले, आप ये जरूर सोचें कि सड़क, सुरक्षित जगह नहीं है. ये तभी सुरक्षित हो पाएगी जब आप नियमों का पालन करेंगे. हर एक व्यक्ति जब सड़क नियमों का पालन करेगा तभी सड़क यातायात सुरक्षित हो पाएगा. सीटबेल्ट की चेतावनी को शांत करने वाली जो क्लिप हमने आपको दिखाई है. वो अगर आपके पास हो, तो उसे तुरंत निकाल दीजिए. सीट बेल्ट पहनना अपनी आदत में शुमार कीजिए. World Health Organisation की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीट बेल्ट पहनने से ड्राइवर और उसके बगल में बैठे कार सवार की हादसे में मौत की संभावना 45-50 प्रतिशत तक कम हो जाती है.
नियमों का पालन जरूरी
तो अगर आपके किसी जानकार, या रिश्तेदार के पास ये क्लिप है, तो उसे इसके इस्तेमाल से रोकिए. और अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति की कार में बैठते हैं, जिसके पास ये क्लिप है, तो उसे भी क्लिप का इस्तेमाले करने से मना कीजिए. वैसे सड़क पर निकलने वाले लोगों से, अगर आप बात करें तो वो भी नियमों के पालन की बात स्वीकार करेंगे. वो मानेंगे कि सीटबेल्ट लगानी चाहिए, हेलमेट पहनना चाहिए, अपनी लेन में चलने चाहिए, वगैरह वगैरह. मतलब ये कि ज्यादतर लोग मुंहजबानी ये बात मानते हैं, कि नियमों का पालन जरूरी है. लेकिन धरातल पर सच्चाई अलग है.
सीट बेल्ट को लेकर हुए कई सर्वे
एक भारतीय कार मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी ने सीटबेल्ट पर एक सर्वे किया. उस सर्वे में पता चला कि देश में केवल 25 प्रतिशत लोग, अगली सीट पर सीटबेल्ट लगाते हैं. इसी तरह से सेव लाइफ फाउंडेशन ने सीटबेल्ट को लेकर वर्ष 2019 में एक सर्वे किया था. इस सर्वे में 6,306 लोगों की राय ली गई थी. इन लोगों से ये भी पूछा गया कि पिछले सीट पर बैठने के बाद, क्या वो सीटबेल्ट लगाते हैं? केवल 7 प्रतिशत लोगों ने माना, कि वो पिछली सीट पर बैठने के दौरान सीटबेल्ट लगाते हैं. सर्वे में शामिल केवल 27.7 प्रतिशत लोगों को ही मालूम था, कि पिछली सीट पर भी सीटबेल्ट लगानी होती है. यानी हमारे देश में कार चालकों में सीटबेल्ट को लेकर लापरवाही तो है ही, जागरुकता की भी कमी है. ज्यादातर कार चालकों को लगता है, कि सड़क सुरक्षा से जुड़े जो भी नियम हैं, वो चालान वसूली की सरकारी साजिश है. उनको लगता है कि सरकार ने पैसा वसूली के लिए सीटबेल्ट लगाने या हेलमेट पहनने का नियम बनाया है. लेकिन आपको समझना चाहिए कि सरकार नियमों और जुर्माने का डर दिखाकर, आपसे आपकी ही जान बचाने की विनती करती है. लेकिन बहुत से लोग इस विनती को मानना नहीं चाहते हैं.
याद रखिए आपकी जिंदगी बहुमूल्य है
केंद्रीय मोटर वाहन नियम के रूल 138 (3) के मुताबिक कार में बैठे सभी लोगों को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है. सीट बेल्ट नहीं लगाने पर 1000 रुपये का जुर्माना देना होता है. कार मालिकों के लिए शायद 1000 रुपये का जुर्माना ज्यादा नहीं है, लेकिन याद रखिए आपकी जिंदगी बहुमूल्य है. और सीटबेल्ट का जुर्माना आपको याद दिलाता है कि आप सीटबेल्ट लगाएं.
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