Kaal Sarp Dosh: आखिरकार क्या है कालसर्प दोष, क्या हमेशा होता है हानिकारक?
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Kaal Sarp Dosh: आखिरकार क्या है कालसर्प दोष, क्या हमेशा होता है हानिकारक?

What is Kaal Sarp Dosh: ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के शुभ-अशुभ योगों के बारे में बताया जाता है. कालसर्प दोष भी इनमें से एक है. जिसकी कुंडली में यह दोष होता है, उसे जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

Kaal Sarp Dosh: आखिरकार क्या है कालसर्प दोष, क्या हमेशा होता है हानिकारक?

Kaal Sarp Dosh in Horoscope: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस इंसान की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उसे जिंदगी में किसी न किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है. अधिक मेहनत करने के बावजूद रिजल्ट नहीं मिलता है. दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. अगर जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु-केतु के बीच में हों तो कालसर्प योग बनता है.

प्राचीन ग्रंथ में नहीं है वर्णन

हालांकि, कालसर्प दोष का वर्णन हमारे किसी भी प्राचीन ग्रंथ में नहीं है, फिर भी वर्तमान समय में ये काफी प्रचलित है. महर्षि पाराशर और अन्य विद्वानों ने कालसर्प ना कहकर इसी प्रकार की स्थितियों को दूसरे नामों से पुकारा है. सर्पदोष और सर्पदंश योग आदि जिन नामों के माध्यम से हमारे महर्षियों ने राहु-केतु और मंगल आदि ग्रहों की विभिन्न स्थितियों के अनिष्ट प्रभावों का वर्णन किया है, वे योग ज्योतिषियों की स्मृतियों से विलुप्त हो गए हैं, जबकि कालसर्प योग का प्रचलन तेजी से बढ़ा है.

संकट को बढ़ाता है अचानक

कई बार सातों ग्रह राहु-केतु के मध्य न आकर एक या दो ग्रह राहु-केतु के बीच आ जाते हैं तो आंशिक कालसर्प योग माना जाता है. कालसर्प योग वाले जातकों के लिए राहु या केतु की महादशा, अंतर्दशा या खराब गोचर उनके संकट को अचानक बढ़ा देता है.

पूर्वजन्मों के अनुसार फल 

अनुभव से ये भी देखा गया है कि कालसर्प दोष व्यक्ति से इतना अधिक मेहनत और संघर्ष करवा देता है कि वो तपकर खरे सोने की तरह निखर जाता है. आखिरकार उसे प्रसिद्धि, सफलता और धन मिल ही जाता है. एक और बात ये है कि राहु को कार्मिक ग्रह माना जाता है वो व्यक्ति को उसके पूर्वजन्मों के अनुसार फल देता है.

शुभफल का भी होता है कारक

अगर राहु अपने नक्षत्र आर्द्रा, स्वाती और शतभिषा में है और अपनी उच्च राशि वृष. मूल त्रिकोण राशि कर्क या स्वराशि कन्या में हो तो व्यक्ति के पूर्वजन्म के फल शुभ होते हैं. इसी तरह अगर केतु अपने नक्षत्र अश्विनी, मघा और मूल या अपनी उच्च राशि वृश्चिक, मूल त्रिकोण राशि मिथुन या स्वराशि धनु या मीन में हो तो शुभफल कारक होता है. 
 
12 प्रकार के होते हैं कालसर्प योग 

1- अनन्त कालसर्प योग
2- कुलिक कालसर्प योग 
3- वासुकि कालसर्प योग
4- शंखपाल कालसर्प योग
5- पद्म कालसर्प योग
6- महापद्म कालसर्प योग
7- तक्षक कालसर्प योग
8- कर्कोटक कालसर्प योग
9- शंखचूड़ कालसर्प योग
10—घातक कालसर्प योग
11- विषधर कालसर्प योग
12- शेषनाग कालसर्प योग
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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