मिलिए MBA पास राजीव भास्कर से...अमरूद की खेती के ल‍िए छोड़ी नौकरी, अब एक करोड़ की कमाई
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मिलिए MBA पास राजीव भास्कर से...अमरूद की खेती के ल‍िए छोड़ी नौकरी, अब एक करोड़ की कमाई

आज हम आपको एक ऐसे ही शख्‍स की कहानी के बारे में बताएंगे, ज‍िन्‍होंने नौकरी की राह छोड़कर खेती को चुना. जी हां, राजीव भास्कर एक ऐसे ही एग्रीप्र‍िन्‍योर हैं. एमबीए पूरा करने के बाद राजीव ने वीएनआर सीड्स (VNR Seeds) की सेल्‍स एंड मार्केट‍िंग टीम के साथ अपना कर‍ियर शुरू क‍िया.

मिलिए MBA पास राजीव भास्कर से...अमरूद की खेती के ल‍िए छोड़ी नौकरी, अब एक करोड़ की कमाई

Agriculture Success Story: ऐसी बहुत सी कहान‍ियां म‍िल जाती हैं जब लोगों ने नौकरी छोड़कर कारोबार की राह चुनी और आज वे नए मुकाम पर पहुंच गए. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्‍स की कहानी के बारे में बताएंगे, ज‍िन्‍होंने नौकरी की राह छोड़कर खेती को चुना. जी हां, राजीव भास्कर एक ऐसे ही एग्रीप्र‍िन्‍योर हैं. एमबीए पूरा करने के बाद राजीव ने वीएनआर सीड्स (VNR Seeds) की सेल्‍स एंड मार्केट‍िंग टीम के साथ अपना कर‍ियर शुरू क‍िया. इस दौरान उन्‍होंने यह कभी नहीं सोचा था क‍ि नौकरी के साथ म‍िल रहा अनुभव एक द‍िन उन्‍हें खेती से जोड़ देगा.

सफल एग्री एंटरप्र‍िन्‍योर बने राजीव
लेक‍िन धीरे-धीरे उनका खेती के प्रत‍ि रुझान बढ़ता गया और आज वह सफल एग्री एंटरप्र‍िन्‍योर हैं. उन्‍होंने इसी एर‍िया में अपना सफर कर‍ियर बनाया है. वीएनआर सीड्स में नौकरी के दौरान राजीव को देश के अलग-अलग कोने के क‍िसानों से जुड़ने का मौका म‍िला. नौकरी और ऑफ‍िस से जुड़ा उनका यह काम कब खेती के जुनून में बदल गया, राजीव को यह खुद पता नहीं चला. नौकरी में ही राजीव ने थाई अमरूद की खेती और इसकी अनूठी किस्म के बारे में जानकारी हास‍िल की.

नौकरी से इस्‍तीफा देने का फैसला क‍िया
खेती के ल‍िए उनका जुनून इतना बढ़ गया क‍ि उन्‍होंने नौकरी से इस्‍तीफा देने का फैसला क‍िया. साल 2017 में राजीव ने हरियाणा के पंचकुला में पांच एकड़ जमीन ठेके पर लेकर थाई अमरूद की खेती करने का फैसला क‍िया. राजीव ने खेती के ल‍िए अवशेष-मुक्त खेती की तकनीक अपनाई. इस दौरान राजीव ने फसल की पैदावार बढ़ाने और उसे सुरक्ष‍ित रखने के लिए जैविक सामग्रियों से तैयार किए गए जैवनाशी और जैवउर्वरक को इस्‍तेमाल क‍िया. उन्‍होंने अमरूद की पहली फसल की कटाई की और इसकी बिक्री के बाद 20 लाख रुपये कमाए.

55 एकड़ जमीन को पट्टे पर ल‍िया
अवशेष-मुक्त सब्जी के उत्पादन पर ध्‍यान देने के साथ ही राजीव ने प्रचार-प्रसार पर भी ध्‍यान द‍िया. थाई अमरूद की बढ़ती ड‍िमांड के बीच उन्‍होंने खेती का रकबा बढ़ाने का फैसला क‍िया. उन्‍होंने 2019 में तीन और निवेशकों के साथ रूपनगर, पंजाब में 55 एकड़ जमीन को पट्टे पर लेने का एग्रीमेंट क‍िया. उन्‍होंने और उनकी टीम ने इसमें से 25 एकड़ जमीन में अमरूद के पेड़ लगाए. पंचकूला में भी उन्‍होंने अपनी पुरानी थाई अमरूद की 5 एकड़ खेती को बनाए रखा.

बारिश के मौसम में और सर्दियों के दौरान अमरूद की फसल की कटाई साल में दो बार की जाती है. उन्होंने अपनी फसल की मार्केट‍िंग की. उन्‍होंने दिल्ली के बाजार में 10 किलो के बक्सों में अपना माल पहुंचाकर लगातार प्रति एकड़ 6 लाख रुपये का फायदा कमाया. इससे उन्‍होंने एक साल में एक करोड़ से भी ज्‍यादा की कमाई की. इसके साथ ही उन्‍होंने अमरूद के पौधों की औसत उपज 25 किलो प्रत‍ि पौधे से बढ़ाकर 40 किलो तक करने पर काम क‍िया.

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