इमरान खान ने नाटक के संवाद को ही बता दिया मिर्जा गालिब का शेर, फिर हंगामे के बाद किया डिलीट
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इमरान खान ने नाटक के संवाद को ही बता दिया मिर्जा गालिब का शेर, फिर हंगामे के बाद किया डिलीट

Imran Khan tweets: पाकिस्तान के हालात पर एक ट्वीट में इमरान खान ने 'मिर्जा गालिब' डरामे के एक डायलॉग को शेयर किया, लेकिन जब इसपर ज्यादा हंगामा हुआ तो कुछ देर उसे डिलीट कर दिया.

इमरान खान ने नाटक के संवाद को ही बता दिया मिर्जा गालिब का शेर, फिर हंगामे के बाद किया डिलीट

Imran Khan tweets: पड़ोसी देश पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने मिर्जा गालिब से सम्बन्धित एक गलत कविता ट्वीट की, लेकिन गलती का एहसास होने पर ट्वीट को डिलीट कर दिया. पहले इमरान खान ने मिर्जा गालिब के नाम से एक कविता ट्वीट की जो कुछ इस तरह थी, 'मालूम ना था इतना कुछ है घर में बेचने के लिए, जमीन से लेकर ज़मीर तक सब बिक रहा है.'

वहीं, इमरान खान ने इस शेर को ट्विट करते हुए लिखा कि जब कोई कौम अपने आदर्शों और अपने अस्तित्व के उद्देश्य से दूर हो जाती हैं तो वह खत्म हो जाती हैं. मिर्जा गालिब के ये शब्द उस समय के हैं जब हम ब्रिटिश गुलामी में जाने वाले थे और अब ये अल्फाज इमरोर्टेट हुकूमत की तरफ से हुकूमती दबदीली की अमेरिकी साजिश के हालात पर पूरा उतरते हैं.'

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दरअसल, यह ना तो मिर्जा गालिब का शेर है और ना ही किसी और का, बल्कि बॉलीवुड फिल्म 'मिर्जा गालिब' में गालिब का एक डायलॉग है, जिसमें गालिब का रोल नसीरुद्दीन शाह ने निभाया था. यह ट्वीट सोशल मीडिया पर करीब आधे घंटे तक रहा लेकिन बाद में इसे हटा लिया गया. लेकिन क्या ये शायरी वाकई ग़ालिब की थी? तो उत्तर नहीं है.

दरअसल, मिर्ज़ा ग़ालिब ने कभी ऐसी कोई कविता नहीं कही, हालांकि, मिर्ज़ा ग़ालिब पर भारत में बने एक टीवी सीरियल में, जिसके संवाद प्रसिद्ध कवि और निर्माता गुलज़ार ने लिखे थे, मिर्ज़ा ग़ालिब की भूमिका निभाने वाले नसीरुद्दीन शाह ने एक संवाद किया था जो कुछ इस तरह था: 'यह कंपनी बहादुर कैसे आई? कहीं कोई शहर बिक रहा है. कहीं रियासत बिक रही है. कहीं फौजों की टुकड़ियां बेची जा रही है, खरीदी जा रही हैं. ये कैसे सौदागर आए हैं इस मुल्क में? पूरा देश किराना दुकान बन गया है. मालूम ना था इतना कुछ है घर में बेचने के लिए, जमीन से लेकर ज़मीर तक सब बिक रहा है.'

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