Urdu Poetry in Hindi: बहुत सी बातें ज़बाँ से कही नहीं जातीं...

Siraj Mahi
Jan 09, 2025

जिन्हें तारीख़ भी लिखते डरेगी, वो हंगामे यहाँ होने लगे हैं

बहुत सी बातें ज़बाँ से कही नहीं जातीं, सवाल कर के उसे देखना ज़रूरी है

हमीं पे ख़त्म हैं जौर-ओ-सितम ज़माने के, हमारे बाद उसे किस की आरज़ू होगी

जो तू नहीं है तो लगता है अब कि तू क्या है, तमाम आलम-ए-वहशत ये चार सू क्या है

उम्र भर मिलने नहीं देती हैं अब तो रंजिशें, वक़्त हम से रूठ जाने की अदा तक ले गया

किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है, सलीक़ा ज़िंदगी का दिल की नादानी से आया है

अब किसी और का तुम ज़िक्र न करना मुझ से, वर्ना इक ख़्वाब जो आँखों में है मर जाएगा

अब किसी और का तुम ज़िक्र न करना मुझ से, वर्ना इक ख़्वाब जो आँखों में है मर जाएगा

हमारी फ़त्ह के अंदाज़ दुनिया से निराले हैं, कि परचम की जगह नेज़े पे अपना सर निकलता है

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