Urdu Poetry in Hindi: सनम जिस ने तुझे चांद सी सूरत दी है, उसी अल्लाह ने मुझ को...

Siraj Mahi
Jan 13, 2025

अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत, नज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत

आए भी लोग बैठे भी उठ भी खड़े हुए, मैं जा ही ढूँडता तिरी महफ़िल में रह गया

मेहंदी लगाने का जो ख़याल आया आप को, सूखे हुए दरख़्त हिना के हरे हुए

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है, उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है

बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए, दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है

न पाक होगा कभी हुस्न ओ इश्क़ का झगड़ा, वो क़िस्सा है ये कि जिस का कोई गवाह नहीं

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है, उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है

आप की नाज़ुक कमर पर बोझ पड़ता है बहुत, बढ़ चले हैं हद से गेसू कुछ इन्हें कम कीजिए

दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर, दिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा

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