Urdu Poetry in Hindi: कभी कभी हमें दुनिया हसीन लगती थी, कभी कभी तिरी आंखों...

Siraj Mahi
Jan 11, 2025

मय-ख़ाने की सम्त न देखो, जाने कौन नज़र आ जाए

हाए वो नग़्मा जिस का मुग़न्नी, गाता जाए रोता जाए

रात को रात कह दिया मैं ने, सुनते ही बौखला गई दुनिया

शीशा टूटे ग़ुल मच जाए, दिल टूटे आवाज़ न आए

ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है, कितना झुक कर किसे सलाम करो

रंग आँखों के लिए बू है दिमाग़ों के लिए, फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है

कभी कभी हमें दुनिया हसीन लगती थी, कभी कभी तिरी आँखों में प्यार देखते थे

बद-तर है मौत से भी ग़ुलामी की ज़िंदगी, मर जाइयो मगर ये गवारा न कीजियो

वो वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या, मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया

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