राजस्थान में दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मुजस्समे का इफ़्तेताह; जानिए इसके बारे में सब कुछ
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राजस्थान में दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मुजस्समे का इफ़्तेताह; जानिए इसके बारे में सब कुछ

World's tallest Shiva statue 'Vishwas Swarpoopam' in Rajasthan: राजस्थान के राजसमंद ज़िले के नाथद्वारा क़स्बे में 52 एकड़ पहाड़ी पर बनी 369 फुट ऊंची  शिव की मूर्ति को ‘विश्वास स्वरूपम’ के नाम से जाना जाएगा. 

विश्वास स्वरूपम

जयपुरः राजस्थान के राजसमंद ज़िले (Rajsamand Rajasthan) के नाथद्वारा क़स्बे में बनी 369 फुट ऊंची शिव की मूर्ति (Shiva statue) ‘विश्वास स्वरूपम’ (Vishwas Swarpoopam) का सनीचर को इफ़्तेताह किया गया है. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और मुरारी बापू ने इस स्टैच्यू का इफ़्तेताह किया. इस मौक़े पर योग गुरु बाबा रामदेव, असेंबली स्पीकर डॉ. सी पी जोशी, अपोज़िशन लीडर गुलाबचंद कटारिया समेत कई लीडर मौजूद थे. इस मौक़े पर होने वाली रामकथा का ज़िक्र करते हुए गहलोत ने कहा, ’’रामकथा का हर किस्सा आपसी प्यार, भाइचारे और इत्तेहाद का पैग़ाम देता है, जिसकी आज मुल्क में सबसे ज़्यादा ज़रूरत है. ऐसी कथाएं देश में होनी चाहिए और हो भी रही हैं.’’

51 बीघा की पहाड़ी पर बनाया गया है ये स्टैच्यू 
भगवान शिव की इस मुजस्समे की तामीर तत पदम संस्थान के ज़रिए की गई है. इदारे के ट्रस्टी और कारोबारी मदन पालीवाल ने कहा कि मुजस्समे के इफ़्तेताह के बाद 29 अक्टूबर से छह नवंबर तक मज़हबी और कल्चलर प्रोग्राम का इनेक़ाद किया जाएगा, जो नौ दिनों तक चलेगा. इस दौरान मुरारी बापू राम कथा का पाठ भी करेंगे. प्रोग्राम के कंवीनर जयप्रकाश माली ने कहा कि नाथद्वारा की गणेश टेकरी पर 51 बीघा की पहाड़ी पर बने इस मुजस्समे में भगवान शिव ध्यान की मुद्रा में बैठे हैं. कहा जाता है कि यह कई किलोमीटर दूर से दिखाई देती है. इस मुजस्समे के लिए ख़ास रोशनी का भी इंतेज़ाम किया गया है ताकि रात में भी यह साफ़-साफ़ दिखाई दे.

369 फुट ऊंची प्रतिमा को बनाने में लगे 10 साल 
माली ने दावा किया है कि दुनिया की सबसे ऊंची इस शिव प्रतिमा की अपनी एक अलग ही ख़ासियत है. 369 फुट ऊंची यह प्रतिमा दुनिया की अकेली ऐसी प्रतिमा होगी, जिसमें लिफ्ट, सीढ़ियां, अक़ीदतमंदों के लिए हॉल बनाया गया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिमा के अंदर सबसे ऊपरी हिस्से में जाने के लिए चार लिफ्ट और तीन सीढ़ियां बनी हैं. मुजस्समे की तामीर में 10 सालों का वक़्त और 3000 टन स्टील और लोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल किया गया .’’

एक साथ 10 हज़ार लोगों के बैठने का इंतेज़ाम 
इस मूर्ति की दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. 2012 में स्कीम के मुताबिक़, इसकी ऊंचाई 251 फीट तक रखी जानी थी, लेकिन बाद में तामीर के दौरान इसकी ऊंचाई 351 फीट तक पहुंच गई. शिव की मूर्ति के उलझे हुए तालों पर गंगा की एक धारा जोड़ी गई, जिसके बाद इसकी ऊंचाई बढ़कर 369 फीट हो गई. यह प्रतिमा 250 किमी तक तेज़ हवा की रफ़्तार का सामना कर सकती है. प्रतिमा की खूबी यह है कि इसके अंदर बने हॉल में एक बार में 10,000 लोग आ सकते हैं.

दुनिया की पांच दूसरी ऊंची शिव प्रतिमाएं 
दुनिया में पांच सबसे ऊंची शिव प्रतिमाएं हैं. विश्वास स्वरूपम, राजस्थान - 369 फीट, कैलाशनाथ महादेव मंदिर, नेपाल - 143 मीटर, मरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक - 123 मीटर, आदियोग मंदिर, तमिलनाडु - 112 मीटर, मंगल महादेव, मॉरीशस - 108 मीटर .

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