West Bengal News: SC से 25 हजार शिक्षकों को मिली बड़ी राहत, HC के फैसले पर लगाई रोक
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West Bengal News: SC से 25 हजार शिक्षकों को मिली बड़ी राहत, HC के फैसले पर लगाई रोक

West Bengal Teachers Recruitment Case: सुप्रीम ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है. जिसमें हाईकोर्ट 25,753 शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें. 

West Bengal News: SC से 25 हजार शिक्षकों को मिली बड़ी राहत, HC के फैसले पर लगाई रोक

West Bengal Teachers Recruitment Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 7 मई को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें राज्य के स्कूल सेवा आयोग के जरिए राज्य के स्कूलों में  25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था. अब इस मामले की सुनवाई 16 जुलाई को होगी. 

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनावाई करते हुए CBI को अपनी जांच जारी रखने और राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों की भी जांच करने की इजाजत दी है. हालांकि, शीर्ष कोर्ट CBI से कहा कि वह जांच के दौरान किसी संदिग्ध को गिरफ्तार करने जैसी कोई जल्दबाजी वाली कार्रवाई न करे.

चीफ जस्टिस ने सरकार के वकील से क्या पूछा
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पश्चिम बंगाल के सरकार के प्रतिनिधत्व करने वाले वकीलों से पूछा, "सार्वजनिक नौकरी बहुत बेहद दुर्लभ है. अगर जनता का विश्वास चला गया, तो कुछ नहीं बचेगा. यह प्रणालीगत धोखाधड़ी है. आज सार्वजनिक नौकरियां दुर्लभ हैं और इन्हें सामाजिक गतिशीलता के रूप में देखा जाता है. अगर उनकी नियुक्तियों को भी बदनाम कर दिया जाए, तो सिस्टम में क्या रह जाएगा? लोगों का यकीन खत्म हो जाएगा, आप इसे कैसे मानते हैं?"

राज्य सरकार के वकीलों ने क्या दी दलील
उन्होंने आगे पूछा, ''कार्यवाही के दौरान शॉर्टलिस्ट करने की क्या जरूरत थी? सरकार ने साल 2022 में पद सृजित किए?” इस पर राज्य सरकार की तरफ से पेश वकीलों ने कहा, "जनवरी 2019 में सभी नियुक्तियां हो चुकी थीं, लेकिन उन्होंने बाद में चुनौती दी और ढाई साल बाद उन्हें खत्म करना पड़ा और समस्याएं हमारी अपनी पैदा की हुई थीं.''

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
इस पर कोर्ट ने कहा, "या तो आपके पास डेटा है या आपके पास नहीं है. आप दस्तावेजों को डिजिटल रूप में बनाए रखने के लिए बाध्य थे. अब, यह साफ है कि कोई डेटा नहीं है. आप इस तथ्य से अनजान हैं कि आपका सेवा प्रदाता एक दूसरे एजेंसी को नियुक्त किया है. आपको पर्यवेक्षी नियंत्रण बनाए रखना होगा,'' राज्य सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि उसने नियुक्तियों को "मनमाने ढंग से" रद्द कर दिया है.

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