त्यागी से ठाकुर बने वसीम रिजवी, दूसरी बार बदला नाम; अब कहलाएंगे ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर!
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त्यागी से ठाकुर बने वसीम रिजवी, दूसरी बार बदला नाम; अब कहलाएंगे ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर!

Wasim Rizvi: वसीम रिजवी ने एक बार फिर अपना नाम बदल लिया है. कुछ साल पहले उन्होंने अपना नाम वसीम रिजवी से हटाकर जितेंद्र नारायण त्यागी रखा था, लेकिन अब उन्होंने इसे भी बदल लिया है. अब जितेंद्र नारायण त्यागी ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर बन गए हैं. 

त्यागी से ठाकुर बने वसीम रिजवी, दूसरी बार बदला नाम; अब कहलाएंगे ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर!

Wasim Rizvi Changes his Name: शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन और फिल्म निर्माता वसीम रिजवी ने एक बार फिर अपना नया नामकरण किया है. इस बार उन्होंने जितेंद्र नारायण त्यागी को बदलकर ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर रख लिया है. वसीम रिजवी ने साल 2021 में इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया था. उस वक्त मीडिया में इसको लेकर काफी हंगामा भी हुआ था, लेकिन अब वसीम रिजवी ने एक बार फिर अपना नाम बदल लिया है. 

त्यागी से ठाकुर बने रिजवी 
वसीम रिजवी अब त्यागी से ठाकुर हो गए हैं, उन्होंने अपना नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर रख लिया है. वसीम रिजवी ने धर्म परिवर्तन को लेकर कहा था कि "उन्हें इस्लाम धर्म से निकाल दिया गया है, इसलिए अब वह हिंदू धर्म में शरण ले रहे हैं." उन्होंने मीडिया के सामने हिंदू धर्म को अपनाते हुए कहा था कि "सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, और उसके अंदर तमाम धर्मों से ज्यादा अच्छाईंया हैं." वसीम रिजवी के हिंदू धर्म अपनाने पर उनके खिलाफ फतवा भी जारी कर दिया गया था. धर्म परिवर्तन की वजह से वसीम रिजवी को परिवार से भी अलग होना पड़ा. वसीम रिजवी की मां और भाई ने उनसे पूरी तरह से रिश्ता खत्म कर लिया है. 

शिया और सुन्नी दोनों समुदायों के लोग है रिजवी से नाराज 
वसीम रिजवी यूपी में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद काफी सुर्खियों में आए. वह शिया वक्फ सेंट्रल बोर्ड के चेयरमैन भी बनाए गए थे, लेकिन उनके मस्जिद और मरदसों पर दिए बयान को देखते हुए उन्हें चेयरमैन के पद से हटा दिया गया था. वसीम रिजवी ने मदरसे की पढ़ाई को आतंकवाद से जोड़कर बयान दिया था, और सुप्रीम कोर्ट में कुतुब मीनार को हटाने के लिए अर्जी भी डाली थी. उनके इन्हीं सब चीजों को देखते हुए शिया और सुन्नी दोनों समुदायों के सुप्रीम उलेमाओं ने उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया था. इस्लाम से खारिज होने के बाद डासना मंदिर के महंत नरसिंहानंद ने वसीम रिजवी को हिंदू धर्म में शामिल करवाया था. 

 

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