सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू जनजागृति समिति की रैलियों को रोकने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, यवतमाल और रायपुर जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को रैलियों के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए हैं.
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Supreme court on Hate Speech: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र के यवतमाल और छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनके इलाके में अगले एक हफ्ते में होने वाली हिंदू संगठन और भाजपा विधायक टी राजा सिंह की रैलियों के दौरान कोई नफरत भरे भाषण न दिए जाएं. इसके अलावा शीर्ष अदालत ने ज़िला इंतज़ामिया से ये भी कहा कि रैलियों के आयोजन स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाए और उन सभाओं में होने वाले भाषणों की रिकॉर्डिंग करी जाए, ताकि अगर कुछ भी हो तो नफरत फैलाने वालो और नफरच भरे भाषण देने वालों की पहचान की जा सके.
रेलियों पर रोक लगाने से इंकार
शाहीन अब्दुल्ला की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने महाराष्ट्र के यवतमाल और छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं. शाहीन अब्दुल्ला की याचिका में कहा गया था कि, हाल ही में हुई रैलियों में नफरत फैलाने वाले भाषणों के कई मामले सामने आए हैं. याचिका में इन रैलियों को रोक लगाने की मांग की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रोक न लगा कर DM और SP को कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए.
रायपुर की रैलियों में नफ़रत भरे भाषणों की आशंका
इसी तरह की एक याचिका में कहा गया था कि रायपुर जिले में 19 से 25 जनवरी तक हिंदू जनजागृति समिति की रैलियां होनी है और इन रैलियों में नफरत भरे भाषणों की आशंका है. याचिकाकर्ता की मांग रैलियों पर रोक लगाने की थी, जिसे पीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए इस अदालत द्वारा इस मुद्दे पर पहले से ही दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.