Poetry on Happiness: उर्दू अदब में ख़ुशी पर बहुत कुछ लिखा पढ़ा गया है. कई शायरों ने ख़ुशी पर बेहतरीन शेर लिखे हैं. इसलिए आज हम पेश कर रहे हैं ख़ुश पर बेहतरीन शेर. पढ़ें.
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Poetry on Happiness: हर इंसान ख़ुश रहना चाहता है लेकिन हर किसी के साथ कुछ न कुछ दिक्कतें रहती हैं. इंसान उम्मदें ज्यादा करता है. जब ये उम्मीदें पूरी नहीं होतीं तो उसे दुख होता है. आशिक़ माशूक़ जब एक दूसरे के पास होते हैं तो वह ख़श होते हैं. तकरीबन हर शायर ने ख़ुश और ग़म को अपनी शायरी का मौजूं बनाया है.
अहबाब को दे रहा हूँ धोका
चेहरे पे ख़ुशी सजा रहा हूँ
-क़तील शिफ़ाई
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एक वो हैं कि जिन्हें अपनी ख़ुशी ले डूबी
एक हम हैं कि जिन्हें ग़म ने उभरने न दिया
-आज़ाद गुलाटी
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ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
-ख़ुमार बाराबंकवी
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मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी
कि मैं ख़ुशी को भी ले कर ख़राब कर दूँगा
-अब्दुल हमीद अदम
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मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है
-अहसन मारहरवी
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ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
-साहिर लुधियानवी
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अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
-शकील बदायुनी
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अरे ओ आसमाँ वाले बता इस में बुरा क्या है
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएँ
-साहिर लुधियानवी
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अगर तेरी ख़ुशी है तेरे बंदों की मसर्रत में
तो ऐ मेरे ख़ुदा तेरी ख़ुशी से कुछ नहीं होता
--हरी चंद अख़्तर
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वो दिल ले के ख़ुश हैं मुझे ये ख़ुशी है
कि पास उन के रहता हूँ मैं दूर हो कर
-जलील मानिकपूरी
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तमाम उम्र ख़ुशी की तलाश में गुज़री
तमाम उम्र तरसते रहे ख़ुशी के लिए
-अबुल मुजाहिद ज़ाहिद
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सुनते हैं ख़ुशी भी है ज़माने में कोई चीज़
हम ढूँडते फिरते हैं किधर है ये कहाँ है
-अज्ञात
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