सुप्रीम कोर्ट ने रेप के आरोप का सामना कर रहे एक आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी है. जहां पीड़िता ने इल्ज़ाम लगाया था कि, आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाए. जिस पर याचिकाकर्ता के वकील नमित सक्सेना ने तर्क दिया कि, यदि पुरुष साथी प्रेमालाप के बाद बाहर निकलने का विकल्प चुनता है. तो एक जोड़े द्वारा एक लंबे, रोमांटिक रिश्ते में यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा.
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सुप्रीम कोर्ट ने रेप के आरोप का सामना कर रहे एक आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी है. जहां पीड़िता ने इल्ज़ाम लगाया था कि, आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाए. जिस पर याचिकाकर्ता ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एडवोकेट नमित सक्सेना के ज़रिए से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के दो जजों, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की बेंच ने कहा, कि हम अपीलकर्ता- मुकेश कुमार सिंह को अग्रिम जमानत दे रहे हैं. ज़मानत देते हुए अदालत की ओर से कई तरह के निर्देश भी दिए गये. साथ ही निर्देशित किया कि,अपीलकर्ता दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 438(2) के आदेश का पालन करेगा.
लव लाइफ के दौरान सेक्स करना, रेप की श्रेणी में नहीं
जयपुर में दर्ज FIR में लगाए गए आरोपों में कहा गया है कि, आरोपी ने पीड़िता से शादी का वादा कर कई बार शारीरिक संबंध बनाए. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा, अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत देने को मामले की योग्यता पर राय की अभिव्यक्ति के रूप में नहीं माना जाएगा. याचिकाकर्ता के वकील नमित सक्सेना ने तर्क दिया कि, यदि पुरुष साथी प्रेमालाप के बाद बाहर निकलने का विकल्प चुनता है. तो एक जोड़े द्वारा एक लंबे, रोमांटिक रिश्ते में यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा. साथ ही उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर पुरुष साथी एक रोमांटिक रिश्ते से बाहर निकलने का विकल्प चुनता है. और शादी में उसकी परिणति नहीं करता है. तो प्रेमालाप की अवधि के दौरान संभोग को हर वक्त मर्ज़ी के बिना नहीं माना जा सकता है. या रिश्ते में खटास आने के बाद इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता है.
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