Parveen Shakir Hindi Shayari: उर्दू की बेहतरीन शायरा परवीन शाकिर (Parveen Shakir) उर्दू की शायर होने के साथ-साथ उस्ताद और पाकिस्तान सरकार के सिविल सेवा में अफसर थीं.
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Parveen Shakir Hindi Shayari: परवीन शाकिर (Parveen Shakir) पाकिस्तान के मशहूर शायरों में से एक हैं. उनके शेर में औरत का दर्द है. सैयदा परवीन शाकिर 24 नवंबर 1952 को पाकिस्तान के कराची शहर में पैदा हुईं. वह उर्दू की शायर होने के साथ-साथ उस्तानी और पाकिस्तान सरकार के सिविल सेवा में एक अफसर भी रही थीं. इनकी कुछ किताबें काफी मशहूर रही हैं. जिनमें 'खुली आँखों में सपना', 'ख़ुशबू', 'सदबर्ग' और 'इन्कार' है. परवीन शाकिर को 26 दिसंबर 1994 को वफात मिली. आइए पढ़ते हैं परवीन शाकिर के कछ चुनिंदा शेर.
बोझ उठाते हुए फिरती है हमारा अब तक
ऐ ज़मीं माँ तिरी ये उम्र तो आराम की थी.
राय पहले से बना ली तू ने
दिल में अब हम तेरे घर क्या करते
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
काँप उठती हूँ मैं ये सोच के तन्हाई में
मेरे चेहरे पे तिरा नाम न पढ़ ले कोई
इक नाम क्या लिखा तिरा साहिल की रेत पर
फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही
मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी
वो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
बोझ उठाते हुए फिरती है हमारा अब तक
ऐ ज़मीं माँ तिरी ये उम्र तो आराम की थी.
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
मैं फूल चुनती रही और मुझे ख़बर न हुई
वो शख़्स आ के मिरे शहर से चला भी गया
हथेलियों की दुआ फूल बन के आई हो
कभी तो रंग मिरे हाथ का हिनाई हो
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ साथ
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