J&K और लद्दाख अदालत का बड़ा फैसला; 'अवैध रूप से हिरासत में लिए गए' व्यक्ति को 5 लाख रुपये की राहत
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J&K और लद्दाख अदालत का बड़ा फैसला; 'अवैध रूप से हिरासत में लिए गए' व्यक्ति को 5 लाख रुपये की राहत

Compensation to Wakeel Ali Mohammad: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अदालत ने जम्मू व कश्मीर इंतेजामिया को सजा दी है. अदालत ने कहा है कि गैरकानूनी हिरासत के लिए जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रवक्ता को 5 लाख रुपये दिए जाएं.

J&K और लद्दाख अदालत का बड़ा फैसला; 'अवैध रूप से हिरासत में लिए गए' व्यक्ति को 5 लाख रुपये की राहत

Compensation to Wakeel Ali Mohammad: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन को प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी संगठन के पूर्व प्रवक्ता वकील अली मोहम्मद लोन उर्फ जाहिद को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत उनकी अवैध हिरासत के लिए पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. कठोर जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत लोन की हिरासत को निरस्त करते हुए न्यायमूर्ति राहुल भारती ने कहा कि पुलवामा जिलाधिकारी द्वारा पारित हिरासत आदेश अवैध और अनुचित है.

पहली बार मुआवजा
यह पहली बार है जब अदालत ने PSA के तहत हिरासत के लिए राज्य को दंडित किया है, जो अधिकारियों को किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखने की इजाजत देता है.

रिहा करने का आदेश
न्यायमूर्ति भारती की तरफ से पारित 13 पेज के आदेश में कहा गया, "याचिकाकर्ता की निवारक हिरासत के साथ-साथ उक्त आदेश को निरस्त किया जाता है. संबंधित जेल अधीक्षक को याचिकाकर्ता को जेल से रिहा करने का निर्देश दिया जाता है." याचिकाकर्ता ने 25 लाख रुपये के मुआवजे का दावा किया था, लेकिन अदालत ने कहा कि पांच लाख रुपये का मुआवजा न्याय के लिए काफी है.

पहले हुई कार्रवाई
अली को पहली बार 5 मार्च, 2019 को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था. अदालत ने 11 जुलाई, 2019 को हिरासत को रद्द कर दिया था. रिहाई आदेश के आठ दिन बाद सरकार ने 19 जुलाई 2019 को उनके खिलाफ एक और पीएसए लगा दिया. जिसे 3 मार्च, 2020 को अदालत ने फिर से रद्द कर दिया. तीन महीने तक जेल से बाहर रहने के बाद, सरकार ने 29 जून, 2020 को लगातार तीसरी बार अली के खिलाफ पीएसए लगाया, जिसे अदालत ने 24 फरवरी 2021 में रद्द कर दिया. चौथा हिरासत आदेश 14 सितंबर, 2022 का है.

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