आज ही के दिन 50 वक्त की नमाज़ पढ़ने का हुआ था हुक्म, इस तरह कम होकर रह गईं महज पांच
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आज ही के दिन 50 वक्त की नमाज़ पढ़ने का हुआ था हुक्म, इस तरह कम होकर रह गईं महज पांच

Shab E Mairaj: इस्लामी मान्यताओं और किताबों के मुताबिक पहले एक दिन में 50 वक्त की नमाज़ पढ़ने का हुक्म दिया गया था लेकिन बाद में इसे 5 वक्त कर दिया गया था. 50 वक्त से सीधे 5 वक्त की नमाज़ कैसे हुई? इस पर हम कुछ इस्लामी किताबों के हवाले से रोशनी डालेंगे.

आज ही के दिन 50 वक्त की नमाज़ पढ़ने का हुआ था हुक्म, इस तरह कम होकर रह गईं महज पांच

सिराज माही/नई दिल्ली: 'रजब' अरबी कैलेंडर का सातवां महीना है. इसी महीने में 27 तारीख को शबे मेराज पड़ती है. 27 रजब यानी शब-ए-मेराज की रात को ही अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम की अल्लाह से मुलाकात हुई थी. इसी मुलाकात की रात को शब-ए-मेराज कहते हैं. अरबी में शब का मतलब रात और मेराज का मतलब ऊंचाई या मुलाकात होता है. इसी रात को मुसलमानों पर 50 नमाजें फर्ज हुई थीं और फिर कम होकर पांच रह गईं थीं.

अर्श पर गए प्रोफेट मोहम्मद
इसी रात को अल्लाह के फरिश्ते जिब्राइल अलैहिस्सलाम बुर्राक के साथ प्रोफेट मोहम्मद को जमीन पर लेने आए थे. इसी पर सवार होकर प्रोफेट मोहम्मद अर्श पर गए थे और अल्लाह से मुलाकात की थी. इसी रात को प्रोफेट मोहम्मद की अल्लाह से मुलाकात हुई थी. इसी दिन प्रोफेट मोहम्मद की अल्लाह से मुलाकात हुई. जन्नत और दोजख (जहन्नम) दिखाई गई. गुनहगारों के लिए सजा और नेक लोगों के लिए इनाम के बारे में बताया गया. इस रात को मुसलमान पूरी रात इबादत करते हैं और अल्लाह से दुआ मांगते हैं. 

इस्लाम में पांच चीजें फर्ज़
इस्लाम में पांच चीजें फर्ज हैं पहला तौहीद (अल्लाह को एम मानना), दूसरा नमाज, तीसरा ज़कात, चौथा रोज़ा और पांचवां हज. इन पांचों बातों पर अमल करना हर मुसलमान का फर्ज़ है.

50 नमाजें थीं फर्ज़
मुसलमानों पर दिन में पांच वक्त की नमाज़ फर्ज़ है लेकिन क्या आपको पता है कि पहले मुसलमानों पर दिन में 50 नमाजें फर्ज थीं लेकिन इन्हें कम करके पांच वक्त किया गया.

किस तरह हुई 5 वक़्त नमाज़
हज़रत अनस इब्न मालिक के मुताबिक प्रोफेट मोहम्मद ने जब अल्लाह से मुलाकात की तब उन पर 50 नमाजें फर्ज़ की गईं. फिर उनमें कमी की गई कम करके इन्हें पांच वक्त किया गया. फिर अल्लाह ने पुकारा कि 'ऐ मोहम्मद मेरा फैसला तब्दील नहीं किया जाता और बेशक आप (आपकी उम्मत) के लिए इन पांच नमाजों के साथ पचास नमाजों का सवाब है'. यह बात हदीस बुखारी शरीफ (इस्लाम में कुरआन के बाद सबसे अहम किताब) में दर्ज है. 

क्या है रिवायत?
50 नमाज़ों को माफ कराने और पांच नमाज़ों के बाकी रहने पर लम्बी रिवायत है. हज़रत अनस इब्न मालिक के मुताबिक शबे मेराज को प्रोफेट मोहम्मद के ऊपर 50 नमाजे़ं फर्ज़ की गईं. जब वह प्रोफेट मूसा के पास से गुजरे तो उन्होंने पूछा कि आपको किस चीज का हुक्म दिया गया. इस पर प्रोफेट मुहम्मद ने कहा उन्हें हर दिन पचास वक्त की नमाज़ अदा करने का हुक्म दिया गया है. इस पर प्रोफेट मूसा ने कहा कि आपकी उम्मत को पचास नमाजों की कद्र न होगी. प्रोफेट मूसा ने कहा कि मैंने लोगों की हालत का आप से पहले तजुर्बा कर लिया है और अपनी कौम के लिए सख्त मेहनत की तो आप अल्लाह की तरफ लौट जाएं और अपनी उम्मत के लिए नमाज माफ कराएं. 

कम की गईं नमाजें
इसके बाद प्रोफेट मुहम्मद वापस लौटे और अल्लाह ताला ने 10 नमाजों को कम कर दिया. अब 40 नमाजें फर्ज थीं. इसके बाद प्रोफेट मुहम्मद फिर प्रोफेट मूसा की तरफ लौटे, इसके बाद प्रोफेट मूसा ने पहले की तरह बात की. उन्होंने और नमाजें माफ कराने को कहा. फिर प्रोफेट मुहम्मद अल्लाह ताला की तरफ लौटे. अल्लाह ने 10 नमाजें कम कीं. अब 30 नमाजें रह गईं. 

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10 नमाजें अदा करने का हुक्म
अनस इब्न मालिक के मुताबिक फिर प्रोफेट मोहम्मद मूसा की तरफ लौटे. उन्होंने फिर पहले की तरह बात की और नमाज़ कम कराने को कहा. प्रोफेट मोहम्मद फिर अल्लाह की तरफ लौटे और कमी की दरख्वास्त की. अल्लाह 10 नमाजें और कम कर दीं. अब 20 नमाजें रह गईं. प्रोफेट मोहम्मद एक बार फिर प्रोफेट मूसा की तरफ आए. उन्होंने फिर पहले की तरह बात की और नमाज माफ कराने को कहा. इसके बाद प्रोफेट मोहम्मद फिर अल्लाह की तरफ लौटे और कमी की दरख्वास्त की. तो हर दिन 10 नमाजें अदा करने का हुक्म दिया गया. फिर प्रोफेट मोहम्मद लौट कर प्रोफेट मूसा के पास आए तो उन्होंने पहले की तरह बात की और नमाज कम कराने को कहा.

प्रोफेट मूसा ने नमाज़ कम कराने का दिया मशवरा
अनस इब्न मालिक के मुताबिक फिर प्रोफेट मोहम्मद अल्लाह ताला की तरफ लौट गए और नमाज कम करने की दरख्वास्त की, तो हर दिन पांच नमाजों का हुक्म दिया गया. फिर प्रोफेट मोहम्मद प्रोफेट मूसा की तरफ लौटे. उन्होंने कहा कि आपको क्या हुक्म दिया गया. तो प्रोफेट मोहम्मद ने कहा कि मुझे हर दिन पांच नमाजों का हुक्म दिया गया. प्रोफेट मूसा ने कहा कि आपकी उम्मत हर दिन पांच नमाजें भी अदा नहीं कर पाएगी. मैं आपसे पहले लोगों का तजुर्बा कर चुका हूं. अपनी उम्मत के साथ सख्त जद्दोजहद कर चुका हूं. अपने रब की तरफ लौट जाएं और नमाज कम कराने की दरख्वास्त कीजिए. 

5 वक्त फर्ज़ हुई नमाज़
इस पर प्रोफेट मोहम्मद ने फरमाया कि मैंने अपने रब के साथ कई मरतबा दरख्वास्त कर ली है. यहां तक कि अब मुझे शर्म आ रही है, अब मैं राजी हूं और इस हुक्म को मानता हूं. फिर जब प्रोफेट मोहम्मद आगे बढ़े तो अल्लाह की तरफ से एक पुकारने वाले ने कहा कि 'मैंने अपना फरीजा पूरा कर लिया है और अपने बंदों पर आसानी कर दी है.' यह रिवायत बुखारी शरीफ में भी दर्ज है.

पचास के बराबर है सवाब
इस तरह दिन में 50 नमाजें फर्ज की गईं थीं लेकिन वह कम होकर पांच रह गईं और अल्लाह अपने बंदों (मुसलमानों) को पांच वक्त की नमाज अदा करने पर पचास के बराबर सवाब देने का वादा किया.

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