NOTA Case: नोटा मामले में एससी ने इलेक्शन कमीशन को भेजा नोटिस! जानें पूरा केस
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NOTA Case: नोटा मामले में एससी ने इलेक्शन कमीशन को भेजा नोटिस! जानें पूरा केस

NOTA: नोटा का मामला सुप्रीम कोर्ट में है, पीआईएल दायर करने वाले शख्स का कहना है कि नोटा के वोट ज्यादा होने पर दोबारा चुनाव कराए जाएं. पूरी खबर पढ़ने के लिए स्कॉल करें. 

NOTA Case: नोटा मामले में एससी ने इलेक्शन कमीशन को भेजा नोटिस! जानें पूरा केस

NOTA: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 26 अप्रैल को उस याचिका पर भारत के चुनाव आयोग (ईसी) को नोटिस जारी किया, जिसमें नोटा होने पर किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव परिणामों को रद्द करने और किसी के भी पक्ष में अधिकतम वोट नहीं पड़ने पर नए सिरे से चुनाव कराने के निर्देश देने की मांग की गई थी.

पीआईएल में क्या कहा गया था?

लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर शिव खेड़ा के जरिए दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में यह कहते हुए नियम बनाने की भी मांग की गई है कि नोटा से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को पांच साल की अवधि के लिए सभी चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए. इस पीआईएल में नोटा की "काल्पनिक उम्मीदवार" के तौर पर उचित और कुशल रिपोर्टिंग और प्रचार सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाने की मांग की गई है.

खेड़ा का दिया उदाहरण

खेड़ा की ओर से पेश सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायण ने उस मामले का हवाला दिया जहां भाजपा के सूरत उम्मीदवार को बिना किसी चुनाव के विजेता घोषित कर दिया गया था. क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन खारिज किया गया था, और अन्य उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया था.

याचिकाकर्ता ने कहा, "हमने सूरत में देखा कि चूंकि कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था, इसलिए सभी को केवल एक ही उम्मीदवार के लिए जाना पड़ा. अगर केवल एक ही उम्मीदवार है, तो भी चुनाव होना चाहिए क्योंकि मतदाता के पास विकल्प होना चाहिए कि वह नोटा के लिए जाएं.

याचिका में कहा गया है, "इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में नोटा का विकल्प हमारी चुनावी प्रणाली में मतदाता के पास 'अस्वीकार करने के अधिकार' का परिणाम है... नोटा को वर्तमान व्यवस्था में नागरिकों के अस्वीकार करने के अधिकार के रूप में देखा जाता है."

अभी क्या है नियम?

सभी पार्टियों से सिंबल के साथ वोटिंग मशीन पर NOTA यानी नन ऑफ दीज़ अबोव का साइन भी होता है. इसका मतलब होता है कि आप अपनी सीट पर खड़े किसी भी केंडिडेट से संतुष्ट नहीं हैं. मिसाल के तौर पर एक केंडिडेट को 10 वोट मिलते हैं, दूसरे को 5 वोट और नोटा को 20 वोट. तो, 10 वोटों वाला कैंडिडेट विजेता माना जाता है. यानी नोटा सिर्फ दिखाने के लिए है, इसकी कोई वैल्यू नहीं है.

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