Ghulam Nabi Azad Left Congress: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अपने पत्र में पार्टी छोड़ने और अपनी नाराजगी की वजहें बताई है. इसके साथ ही उन्होंने पार्टी को सलाह भी दी है.
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नई दिल्लीः कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के पार्टी से इस्तीफे के बाद कांग्रेस पर बड़े आरोप लगाए हैं. गुलाम नबी आजाद ने करीब पांच दशकों के बाद शुक्रवार को पार्टी को अलविदा कह दिया और दावा किया कि मुल्क की सबसे पुरानी सियासी पार्टी अब पूरी तरह खत्म हो चुकी है और नेतृत्व आतंरिक चुनाव के नाम पर ‘धोखा दे रहा है.’ आजाद फिलहाल कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य थे. उनका इस्तीफा कांग्रेस के लिए एक और झटका माना जा रहा है. आजाद से पहले भी कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं जिसमें कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार आदि शामिल हैं. गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे के साथ जो पांच पन्नों का पत्र सोनिया गांधी को लिखा है, उसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं;
पार्टी में अनुभवहीन और चाटुकार हावी
आजाद ने राहुल गांधी पर पार्टी के अंदर परामर्श तंत्र को खत्म करने का इल्जाम लगाया. साथ ही कहा है कि सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन और चापलूसों की नई मंडली पार्टी के मामलों में दखल देने लगी.
राहुल गांधी का सरकारी अध्यादेश को फाड़ना गलत
आजाद ने राहुल गांधी द्वारा सरकारी अध्यादेश को पूरे मीडिया के सामने फाड़ने को बचकाना ‘उदाहरण’ बताया. यह हरकत भी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की 2014 में हुई हार के प्रमुख कारणों में एक रही है.
पार्टी अनुशंसाओं को लागू नहीं करती है
आजाद ने कहा कि पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए वह पंचमढ़ी (1998), शिमला (2003) और जयपुर (2013) में हुए पार्टी के मंथन में शामिल रहे हैं, लेकिन तीनों मौकों पर पेश किए गए सलाह-मशवरों पर कभी गौर नहीं किया गया और न ही अनुशंसाओं को लागू किया गया.
पार्टी प्लानिंग पर काम नहीं करती है
2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत कार्य योजना पिछले नौ वर्षों से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के स्टोररूम में पड़ी है. ’
सोनिया-राहुल की रहनुमाई में खराब होता रहा प्रदर्शन
वर्ष 2014 से सोनिया गांधी की रहनुमाई में और उसके बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में, कांग्रेस शर्मनाक तरीके से दो लोकसभा चुनाव हार गई है. पार्टी को 2014 और 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से 39 में भी हार का सामना करना पड़ा.
आवेश में आकर राहुल ने दिया इस्तीफा
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी की स्थिति खराब हुई है. चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने आवेग में आकर पार्टी सद्र पद से इस्तीफा दे दिया. संप्रग सरकार की संस्थागत अखंडता को खत्म करने वाला रिमोट कंट्रोल मॉडल’’ अब कांग्रेस पर लागू होता है.
राहुल के सुरक्षाकर्मी ले रहे हैं पार्टी के फैसले
सोनिया गांधी के पास सिर्फ नाम का नेतृत्व और पॉवर है. पार्टी के सभी महत्वपूर्ण फैसले या तो राहुल गांधी लेते हैं, या फिर इससे भी बदतर स्थिति में उनके सुरक्षाकर्मी और निजी सहायक लेते हैं.
23 वरिष्ठ नेताओं का अपमान
आजाद ने इल्जाम लगाया कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं को अपशब्द कहे गए. उन्हें अपमानित किया गया और नीचा दिखाया गया. उन्होंने नेतृत्व पर आंतरिक चुनाव के नाम पर पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर धोखा करने का इल्जाम लगाया है.
जम्मू में आजाद के कद में कमी की गई
आजाद ने कहा, आज जो मंडली अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को चला रही है उसके निर्देशों पर जम्मू में मेरा दिखावटी जनाजा निकाल दिया गया था.
कांग्रेस को दी सलाह
पार्टी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए थी.
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