क्या वक्फ मीटिंग में बरेलवी मौलानाओं से किया गया परहेज; शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का बड़ा इल्जाम
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क्या वक्फ मीटिंग में बरेलवी मौलानाओं से किया गया परहेज; शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का बड़ा इल्जाम

Waqf Board News: उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का इल्जाम है कि संसदीय समिति की मीटिंग में बरेलवी मौलानाओं के नहीं बुलाया गया. उनका पूरी तरह से बॉयकॉट किया गया है.

क्या वक्फ मीटिंग में बरेलवी मौलानाओं से किया गया परहेज; शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का बड़ा इल्जाम

Waqf Board News: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रेस को जारी किए गए एक बयान में बड़ा इल्जाम लगाया है. मौलाना कहा कहना है कि भारत सरकार ने वक्फ में संशोधन करने के लिए एक बिल पारलियामेंट में पेश किया है. इस बिल पर सहमति न बन पाने की वजह से जेपीसी कमेटी का गठन किया गया. इस कमेटी का अद्धयक्ष भाजपा नेता जगदंबिका पाल को बनाया गया है. जगदंबिका पाल ने तमाम मुस्लिम संगठनों, बुद्धि जीवियों की राय ली है. जब से जेपीसी कमेटी क गठन हुआ है. उस वक्त से लेकर अब तक भारत के दीगर हिस्सों में वह मीटिंग कर चुके हैं. जिसमें खास तौर पर दिल्ली, महाराष्ट्र, बंगाल, बिहार और आखरी मीटिंग लखनऊ में की है. मगर अफसोस के साथ ये कहना पड़ रहा है कि उन्होंने हर जगह बरेलवी उलेमा और बरेलवी संगठनों को नहीं बुलाया. जेपीसी की मीटिंग में बरेलवी उलेमा को नजरअंदाज किया गया है. 

बहुसंख्यक हैं बरेलवी
मौलाना ने कहा कि भारत की मुस्लिम आबादी के प्रतिशत के हिसाब से अगर देखें तो सुन्नी सूफी बरेलवी मुसलमानों की आबादी बहुसंख्यक हैं. कायदे से बरेलवी मुसलमानों की आबादी पूरे भारत में मुसलिम आबादी का 80 फीसद है. ऐसे इस तरह का रवैया अपनाया जाना बदकिस्मती है. जगदंबिका पाल ने लखनऊ समेत सभी जगहों पर बरेलवी उलेमा और बरेलवी संगठनो को नजरअंदाज किया है. इससे जाहिर होता है कि उनकी नजर में बरेलवी मुसलमानो की कोई एहमियत नहीं है. वो सिर्फ चंद फीसद मुस्लिम संगठनों से बात करके अपना काम पूरा कर देना चाहते हैं. ये एक तरह से एक विशेष फिरके को बढ़ावा देना और इंसाफ के खिलाफ काम करना है.

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एकतरफा होगी रिपोर्ट
मौलाना ने ये भी कहा कि बरेलवी उलमा उनसे बात चीत करके अपना पक्ष रखना चाहते थे. इस ताल्लुक से उनको खत भी लिखा मगर उन्होंने न मुलाकात का वक्त दिया और न ही खत का कोई जवाब दिया. उनके काम करने की ये कार्यशैली जेपीसी कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से बेहतर नहीं कही जा सकती. इस कंडीशन में वक्फ संशोधन बिल पर संसद में पेश की जाने वाली रिपोर्ट एक तरफा कहलाएगी. उनको अपने काम करने के तौर तरीकों पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्हें 80 फीसद बरेलवी मुसलमानो को जान बूझकर नजरअंदाज करने की पॉलिसी को खत्म करना होगा.

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