UP सरकार का बड़ा दावा; वक्फ की जमीन पर नहीं बना है बड़ा और छोड़ा इमामबाड़ा
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UP सरकार का बड़ा दावा; वक्फ की जमीन पर नहीं बना है बड़ा और छोड़ा इमामबाड़ा

Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन बिल पर हंगामा जारी है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार में मॉइनरिटी मिनिस्टर ने कहा है कि बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा वक्फ की जमीन पर नहीं बने हैं. ऐसे में हम इन इमारतों का जायजा ले रहे हैं.

 

UP सरकार का बड़ा दावा; वक्फ की जमीन पर नहीं बना है बड़ा और छोड़ा इमामबाड़ा

Waqf Amendment Bill: वक़्फ़ अमेंडमेंट बिल 2024 पर सुझाव के लिए बनी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की आख़िरी मीटिंग उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई. इस दरमियान उत्तर प्रदेश हुकूमत ने JPC के सामने चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश कर दी. इसमें कहा गया है कि यूपी में वक्फ की 14 हजार हेक्टेयर जमीन है. इसमें से 11 हजार यानि करीब 78% सरकारी जमीन है. साथ ही योगी हुकूमत ने बताया कि लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और अयोध्या में मौजूद बहू-बेगम का मकबरा भी वक़्फ़ जायदाद नहीं है.

वक्फ की जमीन पर नहीं बनी यह इमारतें
उत्तर प्रदेश हुकूमत की तरफ से माइनॉरिटी मिनिस्टर ओपी राजभर ने भी दावा किया कि लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा वक़्फ़ की जायदाद नहीं है. जिस बड़े और छोटे इमामबाड़े पर उत्तर प्रदेश हुकूमत दावा कर रही है. उसकी अपनी एक तारीख़ है. ये तारीखी इमारतें 1784 और 1838 में बनाई गई थीं. आज उस पर सवाल उठाए जा रहे हैं. ये अपने आप में हैरान करने वाले हैं.

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बड़ा इमामबाड़ा क्या है?
बड़ा इमामबाड़ा को भूल भुलैया और आसिफ़ी इमामबाड़ा के नाम से भी जाना जाता है. ये हिंदुस्तान के क़दीम शिया मज़हबी इमारतों में से एक है. इस इमारत को 1784 ई. में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला ने बनवाया था. यहां इमाम हुसैन(अ.) और शोहदा-ए-कर्बला की अजादारी होती है. ये इमामबाड़ा नवाब आसफ-उद-दौला के दौर में अज़ादारी को फ़रोग़ देने की एक कड़ी है. हज़रत इमाम हुसैन (अ.) की मिसाली यादगार क़ायम करने की नियत से बड़ा इमामबाड़ा की बुनियाद रखी गई थी. बड़ा इमामबाड़ा में आसिफ़ी जामा मस्जिद, भूल भुलैया और बावली शामिल हैं. इस आसिफ़ी जामा मस्जिद को दुनिया की पाचंवी सबसे बड़ी मस्जिद माना जाता है.

छोटा इमामबाड़ा
ये इमामबाड़ा हुसैनाबाद मुबारक के नाम से भी जाना जाता है. 1838 में अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह ने मुसलमानों के लिए इसे बनाया था. ये लखनऊ की दूसरी बड़ी शिया अज़ादारी का मरकज़ है. यहां मजालिस इमाम हुसैन (अ.) होती है. मुहर्रम में इसे बेल्जियम की लाइटों से सजाया जाता है. इस इमामबाड़े में नवाब मुहम्मद अली शाह का मक़बरा भी है.

संसद सत्र में पेश होगी रिपोर्ट
माना जा रहा है कि, JPC 31 जनवरी से शुरू होने वाले सेशन में लोकसभा में रिपोर्ट पेश कर देगी. गुज़िश्ता साल अगस्त में बनी इस JPC की दिल्ली में कुल 34 मीटिंग्स हो चुकी हैं. अबतक JPC ने 13 से ज़्यादा रियासत के वक्फ बोर्ड नुमाइंदों से मुलाकात की है, लेकिन जम्मू कश्मीर जहां मुल्क की सबसे ज़्यादा अक़लियत आबादी है, वहां JPC नहीं पहुंच सकी.

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