Fathers Day Special: 'पढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ', पढ़ें पिता पर बेहतरीन शेर
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Fathers Day Special: 'पढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ', पढ़ें पिता पर बेहतरीन शेर

Fathers Day Special: इस साल पूरी दुनिया में फादर्स डे 19 जून को मनाया जा रहा है. इस मौके पर कुछ शायर ने पिता की अहमियत पर कलम चलाई है आप भी पढ़ें. 

Fathers Day

Fathers Day Special: हर इंसान की जिंदगी में वालिद का बहुत बड़ा रोल होता है. मां अगर बच्चे को पैदा करती है तो पिता उसकी सारी जिम्मदारी निभाता है. बच्चे के लिए जितनी जरूरी मां है उतना ही जरूरी पिता भी है. बच्चा हर ख्वाहिश अपने पिता से ही बताता है. पिता भी अपने बच्चे की ख्वाहिश पूरी करने के लिए हर मुम्मकिन कोशिश करता है. कहा जाता है कि जब किसी को बच्चा होता है तो उसे अपने जीने का मकसद मिलता है. बच्चा भी अपने पिता को पा कर अपने आप को पूरा महसूस करता है. इस बार 19 जून को फादर्स डे (Fathers Day) मनाया जा रहा है. यह दिन पिता को समर्पित है. यूं तो पिता के बारे में लिखना सूरज को दिया दिखाने जैसा है लेकिन कुछ शायर ने पिता पर अपनी कलम चलाई है. आप भी पढ़िए कुछ शायरों के चुनिंदा शेर. 

द्दत के बाद ख़्वाब में आया था मेरा बाप 
और उस ने मुझ से इतना कहा ख़ुश रहा करो 
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मुझ को थकने नहीं देता ये ज़रूरत का पहाड़ 
मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते 
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देर से आने पर वो ख़फ़ा था आख़िर मान गया 
आज मैं अपने बाप से मिलने क़ब्रिस्तान गया 
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हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताब 
पढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ हम ने 
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ये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ 
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा 
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मुझ को छाँव में रखा और ख़ुद भी वो जलता रहा 
मैं ने देखा इक फ़रिश्ता बाप की परछाईं में 
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उन के होने से बख़्त होते हैं 
बाप घर के दरख़्त होते हैं
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घर की इस बार मुकम्मल मैं तलाशी लूँगा 
ग़म छुपा कर मिरे माँ बाप कहाँ रखते थे
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वो वक़्त और थे कि बुज़ुर्गों की क़द्र थी 
अब एक बूढ़ा बाप भरे घर पे बार है 
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मैं ने हाथों से बुझाई है दहकती हुई आग 
अपने बच्चे के खिलौने को बचाने के लिए 
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