Bihar News: देश में पहले चरण में 102 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. वहीं. गया में इलेक्शन को लेकर काफी उत्साह है. जीतन राम मांझी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और पहली बार साल 1980 में विधायक बने.
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Bihar News: बिहार के गया संसदीय क्षेत्र के मतदाता 19 अप्रैल को अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकसभा में अपने क्षेत्र की अगुआई करने वाले जनप्रतिनिधि का चुनाव करेंगे. इस इलेक्शन में सबसे बड़ी परीक्षा पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की है.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मांझी सांसद बनने का अपना सपना पूरा कर पाएंगे. वैसे, पिछले पांच चुनावों से इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किसी न किसी दल के 'मांझी' ही करते रहे हैं, लेकिन, पूर्व सीएम मांझी को अब तक यह मौका नहीं मिला. इस इलेक्शन में एनडीए में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के खाते में गई, इस सीट से जीतन रम मांझी फिर से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं.
3 बार से नहीं मिल रही है सफलता
मांझी इससे पहले तीन इलेक्शन में भाग्य आजमा चुके हैं, लेकिन मतदाताओं की पसंद नहीं बन पाए. इस इलेक्शन में मांझी दावा करते हैं कि इस बार उनकी जीत तय है. उन्होंने कहा कि गया ही नहीं देश की जनता ने इस बार पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को '400 पार' कराने का फैसला ले लिया है. छह विधानसभा वाले इस लोकसभा क्षेत्र से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं, लेकिन, मुख्य मुकाबला मांझी और महागठबंधन की तरफ से राजद नेता और बिहार के मंत्री रहे कुमार सर्वजीत के बीच माना जा रहा है.
18.16 लाख वोटर्स वाले इस क्षेत्र में इलेक्शन को लेकर काफी उत्साह है. जीतन राम मांझी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और पहली बार साल 1980 में विधायक बने. जीतन राम मांझी ने सांसद बनने के लिए गया संसदीय क्षेत्र से अपना पहला इलेक्शन 1991 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और हार गए थे. इसके बाद 2014 में उन्होंने जदयू कैंडिडेट के तौर पर इलेक्शन लड़ा, लेकिन, यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली और तीसरे नंबर पर रहे.
2019 में नहीं मिली थी सफलता
हालांकि, लोकसभा इलेक्शन लड़ने के बावजूद जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री बन गए थे. साल 2019 में हुए लोकसभा इलेक्शन में जीतन राम मांझी फिर से चुनावी मैदान में उतरे हैं. इस इलेक्शन में एनडीए के कैंडिडेट के तौर पर जदयू नेता विजय मांझी ने उन्हें हराया था. शेरघाटी, बोधगया, बाराचट्टी, गया, बेलागंज और वजीरगंज विधानसभा वाले गया लोकसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम जातीय समीकरण तय करते रहे हैं.