एक बूंद स्याही की कीमत तुम क्या जानो 'रमेश बाबू', कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश
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एक बूंद स्याही की कीमत तुम क्या जानो 'रमेश बाबू', कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

इस चुनावी माहौल में हम आपको उंगली पर लगाई जाने वाली स्याही से जुड़ी एक दिलचस्प बात बताने जा रहे हैं. दरअसल जब भी कोई वोटर वोट डालने जाता है, तो चुनाव अधिकारी उसकी उंगली पर नीले रंग की स्याही लगा देता है.

File Photo

साल 2007 में दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) और शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) की एक फिल्म आई थी 'ओम शांति ओम' (Om Shanti Om), जिसे फैंस द्वारा काफी पसंद किया गया था. फिल्म में दोनों की एक्टिंग के साथ-साथ डायलॉग्स को सुन दर्शक सीट से उठ-उठकर तालियां बजा रहे थे. इसी फिल्म में दीपिका का एक डायलॉग था 'एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू'. फिल्म निर्माता मयूर पूरी ने अगर चुनाव में वोट देने के बाद उंगली पर लगाई जाने वाली एक बूंद स्याही की कीमत सुन ली होती, तो उन्होंने अपने इस डायलॉग को अब तक जरूर बदल लिया होता. 

इस चुनावी माहौल में हम आपको उंगली पर लगाई जाने वाली स्याही से जुड़ी एक दिलचस्प बात बताने जा रहे हैं. दरअसल जब भी कोई वोटर वोट डालने जाता है, तो चुनाव अधिकारी उसकी उंगली पर नीले रंग की स्याही लगा देता है. दरअसल, ऐसा इसलिए किया जाता है कि वोटर्स दोबारा वोट न डाल सके और किसी तरह का कोई फर्जीवाड़ा न हो सके लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है जो नीली स्याही वोट देने के बाद आपकी उंगली पर लगाई जाती है, उसकी कीमत कितनी होती है. इसके अलावा इस स्याही में ऐसा क्या खास होता है जिससे ये उंगली पर लगने के बाद जल्दी नहीं छूटती है और कब से चुनाव के दौरान इस स्याही का इस्तेमाल हो रहा है. 

सिर्फ मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड नामक कंपनी बनाती है ये स्याही 
ये स्याही भारत में सिर्फ एक ही कंपनी मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड बनाती है. ये कंपनी इस इंक को भारत में नहीं बल्कि अन्य देशों में भी सप्लाई करती हैं. इनमें दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, मलेशिया, सिंगापुर आदि देश शामिल हैं. इस कंपनी की स्थापना साल 1937 हुई थी. इस स्याही को चुनाव के दौरान इस्तेमाल करने के पीछे पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन की सोच थी.

पहले चुनाव में नहीं था स्याही लगाने का नियम
सबसे पहले 1962 के चुनाव में इस स्याही का इस्तेमाल हुआ था. इस स्याही को इलेक्शन इंक या इंडेलिबल इंक कहा जाता है. चुनावी स्याही को बनाने के लिए सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. यह 40 सेकेंड से भी कम समय में सूख जाती है और हमारे शरीर में मौजूद नामक से मिलकर सिल्वर क्लोराइड में बदल जाती है. ऐसे में इसे कम से कम 72 घंटे तक त्वचा से नहीं मिटाया जा सकता है.

तर्जनी उंगली ना हो तो?
चुनाव आयोग की गाइलाइन के मुताबिक इस स्याही को तर्जनी उंगली के नाखुन के ऊपर गांठ तक लगाया जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि अगर किसी व्यक्ति की तर्जनी उंगली नहीं है तो वोटर्स की किस उंगली में स्याही लगाई जाती है? बता दें कि ऐसे हालात में वोटर्स के बाएं हाथ किसी भी उंगली में नीली स्याही लगाई जा सकती है. अगर वोटर्स का बाया हाथ ही नहीं है तो ऐसी परिस्थिति में मतदाता के दाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर स्याही लगाई जाती है.

कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश
अभी तक चुनाव आयोग इस स्याही के दूसरे विकल्प को नहीं तलाश पाया है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि इस स्याही की एक बूंद की कीमत जानकर आपके होश उड़ने वाले हैं. इंक की हर एक बोतल में 10 एमएल स्याही होती है और एक बोतल की कीमत करीब 127 रुपये है. वहीं, एक लीटर की कीमत 12 हजार 700 रुपये के करीब होती है.

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