Bismil Azimabadi Poetry: हम यहां पेश कर रहे हैं उर्दू के मशहूर शायर बिस्मिल अजीमाबादी के कुछ चुनिंदा शेर. मशहूर कविता "सरफरोशी की तमन्ना" उन्होंने ही लिखी थी.
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Bismil Azimabadi Poetry: बिस्मिल अज़िमाबादी उर्दू के मशहूर शायर थे. साल 1921 में बिस्मिल ने "सरफरोशी की तमन्ना" नाम की देशभक्ति कविता लिखी थी. यह आजादी के दौर में काफी मशहूर हुई. इसे राम प्रसाद बिस्मिल ने एक अदालत में पढ़ी थी.
दास्ताँ पूरी न होने पाई
ज़िंदगी ख़त्म हुई जाती है
हो न मायूस ख़ुदा से 'बिस्मिल'
ये बुरे दिन भी गुज़र जाएँगे
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
तुम सुन के क्या करोगे कहानी ग़रीब की
जो सब की सुन रहा है कहेंगे उसी से हम
देखा न तुम ने आँख उठा कर भी एक बार
गुज़रे हज़ार बार तुम्हारी गली से हम
न अपने ज़ब्त को रुस्वा करो सता के मुझे
ख़ुदा के वास्ते देखो न मुस्कुरा के मुझे
मजबूरियों को अपनी कहें क्या किसी से हम
लाए गए हैं, आए नहीं हैं ख़ुशी से हम
चमन को लग गई किस की नज़र ख़ुदा जाने
चमन रहा न रहे वो चमन के अफ़्साने
ये ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी हुई 'बिस्मिल'
न रो सके न कभी हँस सके ठिकाने से
कहाँ तमाम हुई दास्तान 'बिस्मिल' की
बहुत सी बात तो कहने को रह गई ऐ दोस्त
क्या करें जाम-ओ-सुबू हाथ पकड़ लेते हैं
जी तो कहता है कि उठ जाइए मय-ख़ाने से
ख़िज़ाँ जब तक चली जाती नहीं है
चमन वालों को नींद आती नहीं है