Bird Day Special: परिंदों की भाषा समझने वाले सलीम अली हैं Bird man of India
Advertisement

Bird Day Special: परिंदों की भाषा समझने वाले सलीम अली हैं Bird man of India

Bird Man of India Salim Ali:सलीम अली भारत के ऐसे पक्षी वैज्ञानिक थे, जो पक्षियों की जुबान समझते थे. उन्होंने पक्षियों के संरक्षण के लिए ढेर सारे काम किए थे. उनके जन्मदिन 12 नवंबर 1896 को भारत के लोग  बर्ड-डे यानी पक्षी दिवस के तौर पर याद करते हैं.  

सलीम अली

ए. निशांत- 

Bird Man of India Salim Ali: हिन्दुस्तानी सकाफत हमेशा से कुदरत के करीब रही है. जमीन, आसमान, नदी, पहाड़ और जंगल के साथ हमारे मुल्क में जानवर और परिंदों से भी इंसान न सिर्फ प्यार करता है बल्कि उसे लेकर श्रद्धा का भाव रखता है. यहां तक कि हमारी लोक कथाओं से लेकर धार्मिक ग्रंथों में पक्षियों को खास जगह मिली है. यह हमारे प्रकृति के ईको सिस्टम को भी कायम रखने में अपना खास किरदार अदा करते हैं. हिंदुस्तान में पैदा हुए बर्डमैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी सलीम अली ने अपनी पूरी जिंदगी परिंदों के नाम कर दी. 
सलीम अली ने खग ही जाने खग की भाषा के मिथक को तोड़ दिया था. वह पक्षियों के कलरव और चहचहाहट को बखूबी समझते थे. उन्होंने परिंदों के स्टडी को आम जनमानस से जोड़ने का काम किया. उनके द्वारा किए गए अध्ययन हमारी बायो डाइवर्सिटी और ईको सिस्टम संरक्षण में काफी मददगार साबित हुई. सलीम अली के कई विचार अपने वक्त के मुख्यधारा के विपरीत थे. वह हर बातों में तार्किकता पर जोर देते थे. पक्षियों को बिना घायल किए उन्हें पकड़ने की इनके द्वारा ईजाद की गई 'गोंग एंड फायर’ और डेक्कन तकनीक आज भी पक्षी विज्ञानियों द्वारा बखूबी इस्तेमाल किया जाता हैं.

'पक्षी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है सलीम अली का जन्मदिन 
12 नवंबर 1896 को एक मध्यमवर्गीय सुलेमानी बोहरा मुस्लिम खानदान में पैदा हुए सलीम अली अपने मां-बाप के सबसे छोटी संतान थे. बचपन में ही माता-पिता के प्यार से महरुम सलीम अली की शुरुआती जिंदगी अपने मामा और चाची की परवरिश में, मुंबई के खेतवाड़ी इलाके में हुई. उनकी शुरुआती तालीम सेंट बाइबल मिशन हाई स्कूल और सेंट जेवियर कॉलेज, मुंबई में हुई. उनका विवाह 1918 में तहमीना से हुआ था, जो उनकी दूर के किसी रिश्तेदार की बेटी थीं. सलीम अली की मृत्यु 20 जून 1987 को एक लंबी बीमारी के बाद हो गई. भारत सरकार उनके जन्मदिन को 'पक्षी दिवस’ के तौर पर मनाती है. 

बर्डमैन ऑफ इंडिया
पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों के बारे में उनके अध्ययन ने कई नई जानकारी से दुनिया को रूबरू कराया. अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण 65 साल पक्षियों के मुतआले में लगाकर वह पक्षियों के चलता-फिरता इंसाइक्लोपीडिया बन गए थे. मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सचिव डब्ल्यू एस मिलार्ड की देखरेख में उन्होंने पक्षियों पर अपनी स्टडी शुरू की थी. यही से पक्षी विशेषज्ञ बनने की उनकी शुरुआत हुई. इनको प्रोत्साहित करने के लिए मिलार्ड ने उन्हें ’कॉमन बर्ड्स ऑफ़ मुंबई’ नाम की किताब दी थी.

आत्मकथा में बताया बर्डमैन बनने की टर्निंग प्वाइंट की कहानी  
'द फॉल ऑफ स्पैरो’ में अपनी जिंदगी के कई किस्सों को सलीम अली ने बखूबी समेटा है. सलीम अली ने बचपन में खेल-खेल में अपनी खिलौने वाली बंदूक से एक बार एक पीले गर्दन वाली गौरैया चिड़िया का शिकार किया था, जिसके बाद उन्हें इस शिकार से खुशी मिलने के बजाय गहरा सदमा पहुंचा था. इस हादसे को उन्होंने ने अपनी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट बताया है. पक्षी विज्ञान की जानिब उनका रूझान होने की पहली सीढ़ी वह इसे ही मानते हैं. 
सलीम अली ने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख लिखा, खास तौर से 'जर्नल ऑफ द मुंबई’ और ’नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ के लिए उन्होंने मुसलसल आर्टिकल लिखने का काम किया. उन्होंने कई दीगर लोकप्रिय किताबें भी लिखीं हैं. 1930 में इन्होंने 'स्टॉपिंग बाय वुड्स ऑन द संडे मॉर्निंग’टाइटल से एक आर्टिकल लिखा जो बहुत ही पॉपुलर हुआ था. उनका बेहतरीन काम   ' द बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स’ नाम की किताब है. इसके पहले संस्करण का प्रकाशन 1941 में हुआ था, और उसके बाद इस किताब का दुनिया के कई भाषाओं में अनुवाद किया गया.

उनके नाम पर देशभर में स्थापित किए गए कई संस्थान 
सलीम अली के सम्मान में इनके नाम पर मुल्कभर में कई महत्वपूर्ण इदारे कायम की गई हैं. 1990 में भारत सरकार द्वारा कोयंबटूर में सलीम अली सेंटर फॉर आर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री की स्थापना की गई. पांडिचेरी यूनिवर्सिटी में, सलीम अली स्कूल ऑफ इकोलॉजी और एनवायरमेंटल साइंसेज की स्थापना की गई है. गोवा सरकार ने सालिम अली बर्ड सेंचुरी की स्थापना और केरल में वेम्बानाड के करीब थाटाकड पक्षी अभ्यारण भी उन्हीं के नाम पर कायम किया गया है.  'बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी’ और 'पर्यावरण एवं वन मंत्रालय’ द्वारा कोयंबटूर के निकट अनाइकट्टी नामक जगह पर 'सलीमअली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र’ की स्थापना की गई है. सलीम अली ने भरतपुर पक्षी अभ्यारण (केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान) की स्थापना में और साइलेंट वैली नेशनल पार्क के विनाश को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

पुरस्कार और सम्मान 
भारत सरकार ने सलीम अली को 1958 में पद्म भूषण और 1976 में पद्म विभूषण अवार्ड से ऐजाज किया. 1958 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी , 1973 में दिल्ली विश्वविद्यालय और 1978 में आंध्र विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि देकर उन्हें सम्मानित किया गया. इसके अलावा सलीम अली को 1967 में ब्रिटिश पक्षी विज्ञानी संघ द्वारा स्वर्ण पदक दिया गया. ये सम्मान हासिल करने वाले वह पहले गैर-ब्रिटिश नागरिक थे. 1960 के दशक में भारत के लिए राष्ट्रीय पक्षी पर विचार किया जा रहा था तो सालिम अली चाहते थे कि, वह पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड हो, लेकिन भारतीय मोर के पक्ष में उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. 

ए. निशांत- 

लेखक स्वतंत्र पत्रकार और शोधार्थी हैं. 

 

ऐसी ही दिलचस्प खबरों के लिए विजिट करें zeesalaam.in 

Trending news