Siwan Lok sabha Elections 2024: सिवान सीट से पूर्व सांसद व राजद के कद्दावर नेता शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने चुनाव में निर्दलीय उतरने का किया ऐलान है. हिना शहाब के चुनावी मैदान में उतरने से सिवान की सियासी पूरी तरह से बदल गई है. राजद ने सीवान में हिना शहाब के बदले पूर्व विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी को टिकट दिया है.
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Hina Shahab Nomination: बिहार की सिवान सीट इन दिनों सियासी चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है. राजद के कद्दावर नेता व दिवंगत पूर्व सांसद डॉक्टर मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने बिहार में सियासी हलचल को बढ़ा दी है. शहाबुद्दीन परिवार और राजद में दूरियां खत्म होने के बजाय और बढ़ गई है. हिना शहाब आखिरकार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सिवान सीट से चुनावी मैदान में कूद चुकी हैं. हिना शहाब के निर्दलीय चुनावी पर्चा से सीवान का सियासी समीकरण पूरी तरह से बदला हुआ नजर आ रहा है. शहाब के इस फैसले से न सिर्फ राजद का टेंशन बढ़ा है बल्कि आस पास के कई सीटों पर महागठबंधन उम्मीदवारों पर भी इसका असर पड़ता हुआ दिख रहा है.
राजद ने सीवान में हिना शहाब के बदले पूर्व विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी को टिकट दिया है, ऐसे मे माना जा रहा है कि इस इलाके के मुस्लिम वोटर जो हमेशा से राजद के साथ रही है. उनका राजद से इश चुनाव में मोहभंग होता हुआ दिख रहा है. मतलब सीधे तौर पर नुकसान राजद को होता हुआ दिख रहा है.
शहाबुद्दीन 2 बार विधायक..., लगातार 4 बार रहे सांसद
बाहुबली नेता शहाबुद्दीन का दबदबा सिवान और बिहार की सियासत में हमेशा से रहा है. एक दौर ऐसा भी था सीवान से लेकर पटना तक एक पत्ता भी शहाबुद्दीन की मर्जी के बगैर नहीं हिलता था. सियासी जानकार बताते हैं कि शहाबुद्दीन ने अपने दम पर राबड़ी देवी को बिहार के सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया था. लेकिन आज के वक्त में राजद ने उनके परिवार से दूरी बना ली है.
हिना शहाब ने स्नातक की पढ़ाई करने के बाद शहाबुद्दीन से शादी की थी. हिना शहाब को एक बेटा ओसामा और दो बेटी है. ओसामा ने युवा नेता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है. शहाबुद्दीन 2 बार विधायक और लगातार 4 बार सीवान के सांसद बने. 2004 का लोकसभा चुनाव उन्होंने जेल में रहकर ही लड़ा और जीत मिली.
लगातार तीन चुनाव में मिली हार...
शहाबुद्दीन की मौत साल 2021 में तिहाड़ जेल में कोरोना की वजह से गई थी. हालांकि, हिना शहाब की राजनीति में एंट्री साल 2009 में ही हो गई थी. क्योंकि आपराधिक मामले में सजा मिलने के बाद इलेक्शन कमीशन ने शहाबुद्दीन के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद हिना शहाब सियासत की कमान संभाली. ऐसे में राजद ने हीना शहाब को साल 2009 में लोकसभा चुनाव के लिए सीवान सीट से प्रत्याशी बनाया, लेकिन उन्हें हार मिली.
इसके बाद साल 2014 में भी राजद ने हिना को सीवान सीट से टिकट दिया. लेकिन इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे ओम प्रकाश यादव ने करारी शिकस्त दी. वहीं, साल 2019 में भी राजद ने हिना को अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन यहां भी जदयू नेता कविता सिंह से वो हार गईं.इ स तरह से हिना शहाब को लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव में हार मिली.
शहाबुद्दीन की मौत और RJD दूरियां....
तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट शहाबुद्दीन की मौत कोरोना की वजह से हो गई थी. शहाबुद्दीन की मौत के बाद बिहार समेत सिावन में सियासी हवा बदलने लगी. आहिस्ता-आहिस्ता आरजेडी ने भी उनके परिवार से दूरियां बढ़ा लीं. शहाबुद्दीन की मौत के बाद उनके घर परिवार वालों से मिलने कई मंत्री और पूर्व मंत्री समेत कई दलों के नेता पहुंचे थे, लेकिन राजद की तरफ से लालू प्रसाद के सबसे बड़े बेटे तेजप्रताप के अलावा कोई भी नहीं पहुंचा था. जिससे शहाबुद्दीन समर्थकों में राजद परिवार के खिलाफ काफी गु्स्सा भी देखा गया था.
शहाबुद्दीन और बिहार के मुस्लिम वोटर....
शहाबुद्दीन के जिंदा रहने तक सीवान की सियासत उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती थी ,जो आज भी कायम है. फर्क सिर्फ इतना है कि आज की सीवान की सियासत शहाबुद्दीन के परिवार के ही इर्द-गिर्द ही घूम रही है. इसीलिए सभी पार्टियों की नजरें शहाबुद्दीन के परिवार पर टिकी हैं. शहाबुद्दीन परिवार की पकड़ सिवान में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में मुस्लिमों पर है. जिसकी बागडोर अब उनकी पत्नी हिना शहाब और बेटा ओसामा संभाल रहे हैं. हिना शहाब ने हाल ही में अलग-अलग कई जिलों में मुस्लिम कम्युनिटी के बड़े आयोजनों में जनसैलाब के साथ शिरकत कर चुकी हैं.
नाराज हिना ने RJD पर साधा निशाना
शहाबु्द्दीन परिवार से आरजेडी की दूरियां इस कदर बढ़ी की आज हिना शहाब ने राजद के खिलाफ ही हुंकार भर दी. निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर चुकी हिना शहाब ने गुठनी प्रखंड में जनसंपर्क प्रोग्राम के दौरान लोगों से बातचीत में RJD पर जमकर निशाना साधा. "हिना शहाब ने कहा था की यह जगह पुरानी नहीं है और ना ही नई है."
उन्होंने कहा, "हमेशा के लिए यह जगह हम लोगों की है और हम लोगों की ही रहेगी. वक्त ऐसा बना, हालात ऐसी बनी कि हम लोग के साहब ने जिस पार्टी को सींचकर जमीन से आसमान तक पहुंचाया उनके जाने के बाद खुद उन लोगों ने समेटना शुरू कर दिया. हम लोगों को इग्नोर करना शुरू कर दिया। उनका बेटा ओसामा या वो, दोनों में से कोई भी चुनाव लड़ेंगे मगर वो किसी के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ेंगे."