बिहार में JDU ने अपने इन पांच मुस्लिम नेताओं को बनाया पार्टी महासचिव, RJD पीछे
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बिहार में JDU ने अपने इन पांच मुस्लिम नेताओं को बनाया पार्टी महासचिव, RJD पीछे

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने पार्टी के नए पदाधिकारियों का ऐलान किया है, जिसमें जातीय और धार्मिक आधार पर सभी को प्रतिनिधित्व देते हुए 22 पदाधिकारियों का चयन किया है.

गुलाम रसूल बलियावी, पूर्व सांसद कहकशां परवीन और मोहम्मद अली अशरफ फातमी

पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्तर पर अपने नए पदाधिकारियों का ऐलान किया है. इसमें पार्टी ने एक उपाध्यक्ष और 20 से ज्यादा महासचिवों को जगह दी है. खास बात यह है कि जदयू ने अपने नए पदाधिकारियों में कई मुस्लिम चेहरे को भी जगह दी है. 
इस वक्त जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह हैं. वह पार्टी के संसदीय दल के नेता भी हैं. वहीं, चार साल पहले पार्टी में शामिल हुए नेता मंगनी लाल मंडल को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया है. मंगनी लाल मंडल पूर्व राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बाद जदयू में इस शीर्ष पद पर नियुक्त होने वाले दूसरे व्यक्ति बन गए हैं. मंगनी लाल मंडल जद (यू) में शामिल होने के पहले राजद के साथ थे. 

दूसरे दलों से आए असंतुष्ट नेताओं को दिया पद 
जदयू के 22 राष्ट्रीय महासचिवों में मुख्यमंत्री के पैतृक जिले नालंदा के पूर्व विधायक राजीव रंजन भी शामिल हैं, जो हाल ही में भाजपा छोड़ने के बाद जद (यू) में आए थे. अन्य महासचिवों में संसद सदस्य राम नाथ ठाकुर, गिरिधारी यादव, संतोष कुशवाहा, चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, राज्य के मंत्री संजय झा, विजय मांझी और राम प्रीत मंडल को रखा गया है. भगवान सिंह कुशवाहा, राम कुमार शर्मा और दसई चौधरी जैसे कई अन्य नेता भी इस लिस्ट में शामिल हैं, जो दूसरे दलों को छोड़कर जदयू में आए थे. एमएलसी रवींद्र सिंह सहित सात राष्ट्रीय सचिव बनए गए हैं. गोपालगंज सीट से सांसद आलोक कुमार सुमन को कोषाध्यक्ष बनाया गया है. 

22 राष्ट्रीय महासचिवों में पांच मुस्लिम 
एमएलसी अफाक अहमद खान पहले से पार्टी के महासचिव थे, जिन्हें अभी भी बरकरार रखा गया है. इसके अलावा सूची में कमर आलम, मोहम्मद अली अशरफ फातमी, पूर्व सांसद कहकशां परवीन और एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी जैसे मुस्लिम नेताओं को भी राष्ट्रीय महासचिवों की सूची में शामिल किया गया है. इस मामले में जदयू ने राजद को पीछे छोड़ दिया है. 

मुस्लिम, पिछड़ा और सवर्ण सभी को प्रतिनिधित्व
ऐसा लगता है कि जदयू ने अपने पदाधिकारियों में जातीय और धार्मिक अंकगणित का पूरा हिसाब रखा है. अत्यंत पिछड़े वर्गों, दलितों, कुर्मियों और कोयरियों को पार्टी का पदाधिकारी बनाकर जद (यू) ने चुनावों को साधने की कोशिश की है. वहीं, पार्टी ने यादवों, उच्च जातियों को भी प्रतिनिधित्व भी दिया है, जो भाजपा के साथ गठबंधन का हिस्सा रहे हैं. 

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