Pakistan: पाकिस्तान की एक अदालत में ईशनिंदा के मामले में एक महिला आरोपी को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई है. महिला पर पैगंबर मोहम्मद साहब के ऊपर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप था.
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Blasphemy in Pakistan: पाकिस्तान में ईशनिंदा मामले में आए दिन मौत की सजा की खबर आती रहती है. आज क्वेटा की एक अदालत ने ईशनिंदा मामले में पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम एक्ट (PECA) के तहत एक महिला को मौत की सजा सुनाई है.जस्टिस मोहम्मद अफजल मजोका ने उन्हें पीपीसी की धारा 295 और पीईसीए की धारा 11 के तहत दोषी करार दिया.
अदालत ने मौत की सज़ा के अलावा महिला पर 1 लाख PKR का जुर्माना भी लगाया. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला के खिलाफ शिराज अहमद ने शिकायत दर्ज कराई की थी. जिसके बाद संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की साइबर अपराध शाखा ने इसकी जांच की. एजेंसी को पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ महिला के द्वारा किए गए कई सबूत मिले.
FIR के मुताबिक, महिला पर सितंबर 2020 में सोशल मीडिया पर पैगंबर मोहम्मद साहब (PBUH) के बारे में ईशनिंदा सामग्री पोस्ट करने का आरोप लगाया गया था. FIA ने 29 जुलाई, 2021 को उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था. इसके बाद चार बच्चों की मां (आरोपी) ने जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (IHC) का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन दोनों दोनों ट्रायर कोर्ट ने एप्लीकेशन को अस्वीकार कर दिया.
HRCP ने उठाया ये सवाल
इस बीच, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने ईशनिंदा के आरोपी दो लोगों की कथित हत्याओं को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की. दरअसल, क्वेटा में एक होटल मालिक को पुलिस हिरासत में मार दिया गया था, वहीं, उमरकोट में एक डॉक्टर पुलिस छापे के दौरान मारा गया था.
एचआरसीपी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "सरकार को यह पता लगाने के लिए एक स्वतंत्र जांच करनी चाहिए कि उमरकोट में डॉक्टर की मौत के लिए कौन जिम्मेदार था और यह यकीनी बनाना चाहिए कि जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाए."
ईशनिंदा के तहत 15 आरोपियों को होगी सजा
पाकिस्तान पर ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग करने के आरोप लगते रहे हैं. अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संगठन क्लूनी फाउंडेशन फॉर जस्टिस (सीएफजे) ने भी अपने रिपोर्ट में दावा किया है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है.
हालांकि, सीएफजे ने यह भी बताया कि ईशनिंदा के दोषी पाए जाने वाले 15 आरोपियों को मौत की सजा का सामना करना पड़ेगा. लेकिन ईशनिंदा के तहत दर्ज 252 मामल में से 217 की सुनवाई स्थगित कर दी गई है.