Afghanistan News: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने सत्ता संंभालने के बाद देश में लगातार महिलाओं के ऊपर कई तरह की पाबंदियां लगाई, जिसमें महिलाओं को पार्क और सार्वजनिक जगहों पर जाने पर पाबंदी भी शामिल हैं. इन पाबंदियों को तालिबान ने सही बताते हुए UNO द्वारा लगाए लैंगिक भेदभाव और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप को बेतुका बताया है.
Trending Photos
Afghanistan News: संयुक्त राष्ट्र महासभा के पहल पर चार देशों ने अफगानिस्तान के तालिबान सरकार से अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत महिलाओं और लड़कियों के प्रति उनके व्यवहार के लिए जवाब मांगा है. जिसपर तालिबान ने गुरुवार को कहा कि उन पर लैंगिक भेदभाव और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाना बेतुका है. दरअसल, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी और नीदरलैंड ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में महिलाओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का उल्लंघन करने के लिए तालिबान पर कानूनी कार्यवाही शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रहे हैं.
बता दें, साल 2021 में सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों को छठी कक्षा से आगे की पढ़ाई, पार्क समेत सार्वजनिक स्थानों और काम करने पर रोक लगा दिया है. इसके अलावा तालिबान का वाइस एंड सदाचार मंत्रालय ने महिलाओं के खुले चेहरों के साथ घूमने पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपनी आवाज उठाने पर रोक लगाने वाले कानून पारित कर दिए.
20 देशों ने तालिबान पर कार्रवाई की मांग की
अब तालिबानी सरकार के खिलाफ प्रस्तावित कानूनी कार्रवाई के लिए गुरुवार को 20 से ज्यादा देशों ने अपना समर्थन दिया है. इन देशों ने कहा, "हम अफगानिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों और दुर्व्यवहारों, खासतौर से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ लिंग आधारित भेदभाव की निंदा करते हैं. अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जिम्मेदार है."
यह भी पढ़ें:- पाकिस्तान पर IMF हुआ मेहरबान, 7 अरब डॉलर कर्ज देने का किया ऐलान
तालिबान ने आरोपों को किया खारिज
वहीं, तालिबान सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि तालिबान इस्लामी कानून यानी शरिया के मुताबिक अपनी नीतियों को बनाती है, खासकर महिलाओं और लड़कियों के लिए. उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और लैंगिक भेदभाव का आरोप लगाना बेतुका है."