Abu Mohammed Al-Julani Profile: सीरिया में हालात बेहद तनापूर्ण है. विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है और राष्ट्रपति बशर अल-असद मुल्क छोड़कर फरार हो गए हैं. आइए इस लेख में जानते हैं बशर परिवार को 50 साल की सत्ता से बेदखल करने वाला विद्रोही संगठन एचटीएस का नेता कौन है?
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Syria Civil War: मिडिल ईस्ट के कई देशों में पिछले कुछ सालों से संघर्ष जारी है. मौजूदा वक्त में सीरिया सबसे ज्यादा सुर्खियों में है. विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. मुल्क में अब पूरी तरह से तख्तापलट हो गया है. इस तरह से असद परिवार के 5 दशक के शासन का भी अंत हो गया. मुल्क में बीते 13 साल से जारी गृह युद्ध में विद्रोहियों ने सीरिया के कई बड़े शहरों के साथ दमिश्क को चारों तरफ से अपने कब्जे में ले लिया है. प्रेसिडेंट बशर अल-असद मुल्क छोड़कर फरार हो गए हैं.
चलिए इसी बीच, जान लेते हैं कि सीरिया में बशर अल असद परिवार के 50 साल की सत्ता को उखाड़ फेंकने के पीछे कौन है? क्या यह अचानक तख्तापलट हुआ? आइए इन सभी सवालों के जवाब आसान भाषा में समझते हैं.
सीरिया में तख्तापलट को अंजाम देने वाला नेता कोई और नहीं बल्कि अबू मोहम्मद अल जुलानी है, जो सीरिया के शक्तिशाली विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ( एचटीएस ) का लीडर है. सीरिया में तख्तापलट का स्क्रिप्ट लिखने वाला जुलानी पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने साल 2017 में 84 करोड़ 67 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा है. आइए अब जुलानी के बारे में विस्तार से जानते हैं....
सिरिया के सबसे ताकतवर ग्रुप के नेता अबू मोहम्मद अल जुलानी का जन्म साल 1982 में खाड़ी मुल्क सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुआ था और जुलानी के इंजीनियर पिता ने उनका नाम पैदाइश के बाद अहमद हुसैन अल-शरा रखा था. तब जुलानी के पिता सऊदी के सबसे बड़े पेट्रोलियम कंपनी में कार्यकर्त थे. लेकिन, जुलानी जब 7 साल के हुए तो उनका परिवार रियाद शहर से सीरिया की राजधानी दमिश्क में जाकर बस गया.
इसके 14 साल बाद साल 2003 में 21 साल की उम्र में जुलानी दमिश्क से इराक चला गया और वहां जाकर सबसे बड़े चरमपंथी समूह अल कायदा में शामिल हो गया, जहां उन्होंने अपना नाम अहमद हुसैन से बदलकर अबू मोहम्मद अल जुलानी रख लिया. इतना ही नहीं जुलानी कुछ ही समय में ISIS लीडर अबू बक्र अल बग़दादी के सबसे करीबी लोगों में से गिने जाने लगे. जुलानी बगदादी के कैंप में ट्रेनिंग लेकर दोबारा दमिश्क पहुंचा और सीरिया में तख्तापलट करवाने के लिए एक्टिव हो गया. लेकिन, दोबारा सीरिया आने के कुछ ही साल बाद उन्हें अमेरिकी सेना ने गिरफ्तार कर लिया.
जुलानी को साल 2006 में अमेरिकी सेना ने इराक से गिरफ्तार कर पांच साल तक सलाखों के पीछे रखा. कैद से बाहर निकलने के बाद उन्हें अलकायदा ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. चूंकी वो बगदादी का सबसे करीबी था, इसलिए उन्हें सीरिया में अल-कायदा की शाखा, अल-नुसरा फ्रंट स्थापित करने का भी काम सौंपा. जुलानी की अगुआई में इस ग्रुप ने विपक्ष के कब्जे वाले क्षेत्रों, खास कर इदलिब के इलाके में अपने प्रभाव को दो गुना कर दिया.
इस बीच, ISIS लीडर अल बगदादी ने साल 2013 में अपनी ताकत बढ़ाने का फैसला लिया और सीरिया में ही अपने ग्रुप को बड़ा करने का ऐलान किया और उन्होंने अप्रैल 2013 में एक बड़ा फैसला लेकर सबको चौंका दिया. बगदादी ने घोषणा की कि वो अल-कायदा के साथ रिश्ता तोड़ रहा है.
उन्होंने इस दौरान बताया कि वो सीरिया में ही अपना विस्तार करेगा और अल-नुसरा फ्रंट को आईएसआईएल नाम एक नए ग्रुप में शामिल किया जाएगा. लेकिन, यहां पर जुलानी ने बगदादी की बात को नकारते हुए अल-कायदा के साथ जाने का ऐलान किया और बगदादी के इस बदलाव को खारिज कर दिया. ये फैसला करना जुलानी के लिए इतना आसान नहीं था. बावजूद इसके वो अपना लक्ष्य नहीं भूले और आगे बढ़ते चले गए.
बगदादी से अलग होने के बाद अल-जुलानी ने साल 2014 में अपना पहला सार्वजनिक टीवी इंटरव्यू दिया. इस दौरान उन्होंने कहा था कि सीरिया पर “इस्लामी कानून” के तहत शासन किया जाना चाहिए. इसके कुछ सालों बाद जुलानी ने अल कायदा से भी अपना नाता तोड़ लिया. उन्होंने अल कायदा के ग्लोबल खलीफा बनाने के प्रोजेक्ट से दूरी बनाते हुए सीरिया में ही अपने ग्रुप को मजबूत करने में लग गया.
जुलानी ने कब और कैसे बनाया बशर को सत्ता से बाहर करने के लिए HTS ?
जुलानी ने कैसे खड़ा किया बशर को सत्ता से बेदखल करने के लिए हयात तहरीर अल-शाम गुट? जुलानी अपने पहले इंटरव्यू के तीन साल बाद यानी साल 2016 में अपने ग्रुप का नाम अल-नुसरा फ्रंट से बदल कर जभात फतेह अल-शाम कर दिया. इसी साल अलेप्पो भी सीरिया के शासन के अधीन हो गया और वहां के सशस्त्र समूह शहर इदलिब की तरफ बढ़ने लगे और कुछ ही महीने बाद साल 2017 की शुरुआत में अलेप्पो के हजारों लड़ाके भागकर इदलिब आ गए. जुलानी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए अल-जुलानी ने एचटीएस को मजबूत करने के लिए उनमें से कई समूहों को अपने साथ शामिल कर लिया. इस तरह से अल-जुलानी ने HTS की ताकत को ही नहीं बढ़ाया, बल्कि और समूह को मजबूत तरीके से खड़ा करने का भी काम किया.
HTS का क्या है मकसद?
कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, HTS का असली मकसद सीरिया को राष्ट्रपति असद के शासन से मुक्त कराना और “इस्लामिक कानून” के मुताबिक एक राज्य की स्थापना करना है.