मुसलमानों के फूलों पर भी नहीं है संतों को भरोसा; बोले- इससे हो सकता है 'फूल जिहाद'!
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मुसलमानों के फूलों पर भी नहीं है संतों को भरोसा; बोले- इससे हो सकता है 'फूल जिहाद'!

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे कुंभ मेला में मुसलमानों को दुकान लगाने से मना कर दिया गया है. संतों का कहना है कि मौलानाओं का मन भले ही बदला हो, और वह चाहे जितना भी हम पर फूल बरसा दें लेकिन हम उन्हें महाकुंभ में खाने-पीने और फूलों की दुकान नहीं लगाने देंगे. 

मुसलमानों के फूलों पर भी नहीं है संतों को भरोसा; बोले- इससे हो सकता है 'फूल जिहाद'!

Hindu Muslim in Mahakumbh: हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई का संदेश देने वाले भारत देश में पिछले कुछ वक्त से इन दोनों धर्मों के बीच काफी कड़वाहट पैदा हो गई है. दोनों समुदाय एक दूसरे से सीधे मुंह बात नहीं करना चाहते. इसके पीछे की असली वजह देश में हो रही 'धर्म की राजनीति' है. जहां तमाम राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक के लिए दोनों धर्मों का इस्तेमाल कर रही है. 

मुसलमान के साथ अत्याचार
राजनीतिक पार्टियों की गलत बयान बाजी की वजह से दोनों धर्म एक दूसरे के पर्व और त्योहार में भी टांग अड़ाते हैं. कभी कोई सड़क पर नमाज पढ़ रहे नमाजी को लात मार देता है, तो कभी किसी के घर पर चढ़कर भगवा झंडा लहरा देता है. कभी मुसलमानों को उसके नाम की वजह से बिना मतलब पीटा जाता है, तो कभी दुकान पर तोड़फोड़ करना शुरू कर देता है.  

संतों को मुसलमानों के फूलों में दिखता है 'बम'
लेकिन हर बार मुसलमान हिदुंओं का स्वागत फूलों से करता है. इलाके में जब भी किसी मंदिर में पूजा होती है, तो मुसलमान अपने घरों से फूलों की बारिश करते हैं. लेकिन मुसलमानों के इतना अपनापन दिखाने के बाद भी संत मुसलमानों को अपनाने से इंकार कर रहे हैं. संतों का कहना है कि "मौलानाओं का मन भले ही बदला हो, और वह चाहे जितना भी हमपर फूल बरसा दें लेकिन हम उन्हें महाकुंभ में खाने-पीने और फूलों की दुकान नहीं लगाने देंगे." उन्होंने कहा कि "क्या पता मुसलमानों के फूलों के अंदर बम भी हो सकता है." 

स्टीव जॉब्स की पत्नी भी करेंगी कुंभ 
महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से होगी. इस महाकुंभ में देश और दुनिया के अलग-अलग कोने से बड़े-बड़े हस्तियों के आने की संभावना है. स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल भी इस महाकुंभ में शामिल होने आ रही है. वह यहां 'कमला' नाम से जानी जाएंगी. बड़े-बड़े लोगों के साथ-साथ दुनिया भर की कई यूनिवर्सिटीज भी रिसर्च करने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं. 

 

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