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तेल अवीव: अक्टूबर, 2023 को किबुत्ज नाहल ओज में 51 साल के डिकला अरावा और उनके बेटे तोमर अरावा एलियाज ( 17), की मौत इसराइली गोलीबारी में हुई थी. इसराइल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) की जांच में यह सच सामने आया है.
7 अक्टूबर 2023 को हमास ने दक्षिणी इसराइल में बड़ा हमला किया था, जिसमें करीब 1200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, जबकि 250 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया था. टाइम्स ऑफ इसराइल के मुताबिक, IDF ने शुक्रवार को कहा कि जांच सैनिकों, अफसरों और नागरिकों की गवाही पर आधारित थी. कर्नल (रिटायर्ड) यारोन सिटबोन की द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को गुरुवार शाम को पीड़ित परिवार का साथ साझा किया गया.
जांच में क्या पता चला?
जांच के मुताबिक, 7 अक्टूबर की सुबह हमलावर उस घर में घुस आए, जिसमें डिकला अपने पार्टनर नोआम एलियाकिम के साथ रहती थीं. उन्होंने एक कमरे के दरवाजे पर गोलियां चला दीं जिसमें एलियाकिम के पैर में गोली लगी और वह शदीद जख्मी हो गई. तोमर घर से निकलने में कामयाब रहा और एक जगह पर जाकर छिप गया था, जहां IDF सैनिकों ने उसे देख लिया जो नहाल ओज में करीब 6 घंटे से हमलावरों से लड़ रहे थे. सुरक्षाकर्मियों ने उसे एक संदिग्ध समझा और गोलीबारी शुरू कर दी.
IDF ने की पुष्टि
IDF ने कहा, "जांच बताती है कि यह शख्स दिवंगत तोमर अरावा एलियाज था, जो गलत पहचान की वजह से हमारे बलों की गोलीबारी में मारा गया था." इसी वक्त, हमलावरों ने एलियाकिम, उसके दो बच्चों डफना, एला के साथ-साथ डिकला का भी किडनैप कर लिया गया.
हमलावर जब चारों बंधकों के साथ गाजा की तरफ बढ़ रहे थे, तब इसराइली सैनिकों ने उनके गाड़ी पर गोलीबारी की क्योंकि वह इसे आतंकियों का गाड़ी समझ बैठे थे. जांच के मुताबिक, गोलीबारी की वजह से डिकला की मौत हो गई और आतंकवादियों ने गाड़ी को छोड़ दिया. हमले के एक हफ्ते से ज्यादा वक्त बाद उसके डेड बॉडी का पता चल पाया.
46 हजार लोगों की मौत
उल्लेखनीय है कि 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के कीरब 3,000 लड़ाके जमीन, हवाई और समुद्र के रास्ते बॉर्डर पार करके इसराइल में घुस आए. इसमें करीब 1,200 लोग मारे गए और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था, जिनमें से ज्यादातर आम नागरिक थे. हमले के जवाब में यहूदी राष्ट्र ने फलस्तीनी ग्रुप के कब्जे वाली गाजा पट्टी में भीणष बमबारी शुरू कर दी. एक साल से ज्यादा वक्त से जारी लड़ाई में इसराइली ने गाजा में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है और 46 हजार से ज्यादा फलस्तीनियों की मौत होचुकी है.