Bilkis Bano Gang Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस बानो मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 11 दोषियों के रिहा होने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है.
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Bilkis Bano Gang Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात सरकार की तरफ से बिलकिस बानो मामले में दोषियों की जल्द रिहाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना फैसला महफूज रख लिया. जज बीवी. नागरत्ना और जज उज्जल भुइयां की पीठ ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंग रेप और उनके परिवार के लोगों के कल्त के मामले में दोषियों को रिहा करने के छूट आदेश की वैधता के सवाल पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला महफूज रख लिया.
पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को 16 अक्टूबर तक दोषियों की रिहाई से मुताल्लिक ट्रांसलेशन के साथ रिकॉर्ड दाखिल करने का आदेश दिया. सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने अपने जवाबी तर्क में कहा कि मामले में शीर्ष अदालत का फैसला संविधान की अंतरात्मा को प्रतिबिंबित करेगा. उन्होंने कहा कि बिलकिस बानो के खिलाफ किया गया अपराध 'प्रेरित' था और देश की अंतरात्मा सुप्रीम कोर्ट के फैसले में प्रतिबिंबित होगी.
पिछली सुनवाई में उन्होंने दलील दी थी कि 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के खिलाफ किया गया अपराध मजहब की बुनियाद पर किया गया 'मानवता के खिलाफ अपराध' था.
आखिरी सुनवाई शुरू होने के बाद, दोषियों ने मुंबई में ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 'विवाद को कम करने' के लिए उन पर लगाया गया जुर्माना जमा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों से पूछा था, आप इजाजत मांगते हैं और फिर इजाजत के बिना जमा कर देते हैं? याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा था कि दोषियों ने उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं किया है और जुर्माना न भरने से सजा माफी का आदेश अवैध हो जाता है.
बता दें कि मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था. गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत इनकी रिहाई की इजाजत दी थी. दोषियों ने जेल में 15 साल की सजा काटी थी.