इन 8 मस्जिदों पर यूं ही नहीं है विवाद; इसमें दफ्न है प्रदेश में BJP के दरकते जनाधार का राज !
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इन 8 मस्जिदों पर यूं ही नहीं है विवाद; इसमें दफ्न है प्रदेश में BJP के दरकते जनाधार का राज !

UP Masjid-Madir Vivad: इस साल फरवरी, 2025 में राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस चुनाव के साथ फरवरी में फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर लंबे समय से प्रतीक्षित उपचुनाव भी होने वाला है. ये उप-चुनाव बीजेपी और सपा के लिए बहुत अहम है. 

इन 8 मस्जिदों पर यूं ही नहीं है विवाद; इसमें दफ्न है प्रदेश में BJP के दरकते जनाधार का राज !

UP Masjid-Madir Rows: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को एक साल पूरा हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए देश में लगातार तीसरी बार शानदार जीत हासिल कर सत्ता पर काबिज है. NDA गठबंधन ने  293 सीटों पर जीत हासिल की तो वहीं अकेले भाजपा के खाते में 240 सीटें आईं, लेकिन इसके बावजूद भाजपा को इस चुनाव में एक करारा झटका लगा. यूपी की फैजाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) के हाथों BJP को  करारी हार झेलनी पड़ी.

इसके बाद से ही मस्जिदों के नीचे मंदिर ढूंढने की कवायद तेज हो गई और देशभर के ज्यादातर हिस्सों में मस्जिद-मंदिर पर विवाद बढ़ गया. मस्जिद-मंदिर और दरगाहों पर बढ़ते विवाद के बाद प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की संवैधानिक वैधता भी सवालों के घेरे में आ गई है.

हालांकि, 12 दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के खिलाफ दी गई याचिकाओं पर सुनावई करते हुए अगले आदेश तक सिविल अदालतों को किसी भी लंबित मुकदमों में कोई प्रभावी या अंतिम आदेश पारित नहीं करने का निर्देश दिया. यानी वर्शिप एक्ट के स्वामित्व और शीर्षक को चुनौती देने वाले नए मुकदमों को दर्ज करने और अगले हुक्म तक विवादित धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण का आदेश देने से रोक दिया.

साल 2025 में आने वाले दिनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, जिनमें फरवरी महीने में राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस चुनाव के साथ फरवरी में फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर लंबे समय से प्रतीक्षित उपचुनाव भी होने वाला है, जो यूपी में होने वाला 2027 में विधानसभा चुनाव के नजरिए ये सत्तारूढ़ बीजेपी और सपा के लिए बहुत अहम है, क्योंकि मस्जिद-मंदिर के कुल 11 विवादों में से अकेले उत्तर प्रदेश में ही 8 विवाद चल रहे हैं. राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि यूपी चुनाव 2027 से पहले इन 7 मामलों जांच या उन पर फैसला होने की ज्यादा संभावना है.  ऐसे में आइए जानते हैं उन 8 विवादित स्थलों के बारे में.....

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, वाराणसी (Gyanvapi Mosque Dispute )
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद काफी पुराना है और करीब 35 साल से यह मामला कोर्ट में है. साल 1991 में देवता आदि विश्वेश्वर की तरफ एक मुकदमा दायर कर दावा किया गया था कि शहर वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनवाई गई है. इसके बाद साल 2021 में राखी सिंह समेत पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी की सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर मस्जिद के भीतर पूजा करने की इजाजत मांगी.

वाराणसी के जिला और सेशन जज की अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सर्वे का आदेश दिया और 2023 में हिन्दू पक्ष की तरफ से दायर मुकदमे की स्थिरता को बरकरार रखा. हालांकि,  सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज़ जारी रखने जाने का हुक्म दिया है, लेकिन वज़ूख़ाना अब भी सील है.

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शाही ईदगाह मस्जिद विवाद, मथुरा (Shahi Eidgah Mosque Dsipute, Mathura)
यूपी के मथुरा में मौजूद शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर हिन्दू पक्षों ने 2020 से कई मुकदमे दायर किए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि इस मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर कराया गया है. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इसे खारिज कर दिया है.

मई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट  सभी लंबित मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया और अगस्त 2024 में मुकदमों की स्थिरता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. वहीं, मस्जिद कमेटी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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टीले वाली मस्जिद, लखनऊ (Teele Wali Masjid Vivad, Lucknow)
उत्तर प्रदेश की राजधानी में मौजूद मशहूर टीले वाली मस्जिद तब सबसे ज्यादा सुर्खियों में आई थी, जब हिन्दू पक्ष ने दावा किया कि इस मस्जिद का निर्माण मुगल शासक औरंगजेब द्वारा एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया है.  इसे लेकर  भगवान शेषनागेश्वर महादेव विराजमान के भक्तों ने  2013 में मुकदमे दायर कर मस्जिद के सर्वेक्षण करने की मांग की. फिलहाल मस्जिद कैंपस के भीतर नमाजियों को नमाज न अदा करने की इजाजत देने वाली एक अन्य मुकदमा लखनऊ में एक सिविल जज के पास लंबित है.

शाही जामा मस्जिद, संभल (Shahi Jama Masjid Vivad, Sambhal)
बीते साल 24 नवंबर को संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भडक गई थी. इस हिंसा को लेकर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक अभी भी सियासत गरमाई हुई है. याचिकाकर्ताओं ने इस मस्जिद को लेकर हिन्दू पक्ष की तरफ से एक मुकदमा दायर दावा किया गया था कि जामा मस्जिद भगवान कल्कि को समर्पित "श्री हरि हर मंदिर" के अवशेषों पर बनाई गई है.  पिटीशन दायर होने के  कुछ ही घंटों के भीतर एक सिविल जज ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया, जिसके बाद सर्वे की एक टीम मस्जिद के सर्वे लिए पहुंची, जो दूसरी बार सर्वे करने के लिए पहुंची थी. इसी दौरान हिंसा भड़क गई. इस हिंसा तार लोगों की मौत हो गई.

बाद में इस मामले पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई. सर्वोच्च न्यायालय ने अदालत को आदेश दिया कि जब तक सर्वे आदेश को चुनौती देने वाला मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास लिस्टेड नहीं हो जाता, तब तक वह मुकदमे को आगे न बढ़ाए.

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शम्सी जामा मस्जिद विवाद, बदायूं (Shamsi Jama Masjid, Budaun)
बदायूं के शम्सी जामा मस्जिद को लेकर साल 2022 में अखिल भारत हिंदू महासभा ने एक मुकदमा दायर कर दावा किया कि जहां पर शम्सी मस्जिद है वह जगह मूल रूप से नीलकंठ महादेव का मंदिर था. पिटीशनर्स ने उस जगह पर पूजा करने की इजाजत मांगते हुए कोर्ट से मस्जिद में सर्वेक्षण के लिए एक पिटीशन दायर किया है. इस मामले पर फिलहाल बदायूं की एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट मुकदमे की स्थिरता पर दलीलें सुन रही है.

अटाला मस्जिद, जौनपुर (Atala Mosque, Jaunpur)
लोकसभा चुनावों 2024 के  दौरान यूपी की स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने एक पिटीशन दायर करते हुए दावा किया कि अटाला मस्जिद की जगह पर मूल रूप से अटाला देवी एक प्राचीन मंदिर मौजूद था. साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अटाला मस्जिद में गैर-हिंदुओं की एंट्री को रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी करने की मांग की.

अटाला मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया गया है. वहीं,  जौनपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट दिसंबर में सर्वे अथॉरिटी को सुरक्षा प्रदान करने की याचिका पर सुनवाई करने वाली थी. वहीं, मुकदमे के पंजीकरण को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी एक पिटीशन दायर की गई है.

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अलीगढ़ जामा मस्जिद, अलीगढ़ ( Aligarh Jama Masjid )
सबसे ताजा मामला अलीगढ़ जामा मस्जिद का है. दरअसल, 7 जनवरी को RTI एक्टिविस्ट और भ्रष्टाचार विरोधी सेवा के पंडित केशव देव गौतम ने सिविल जज कोर्ट में याचिका दायर की है. उनका दावा है कि मस्जिद की जगह पर शिव मंदिर, बौद्ध स्तूप और जैन मंदिर हुआ करता था. इस मामले में सुनवाई 15 फरवरी को होनी है. 

शेख सलीम चिश्ती दरगाह, फ़तेहपुर सीकरी (Sheikh Salim Chisti Dargah Vivad, Fatehpur Sikri)
बीते साल शेख सलीम चिश्ती दरगाह पर दावा करते हुए क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट ने एक मुकदमा दायर किया था. उनका कहना है कि शेख सलीम चिश्ती की दरगाह और जामा मस्जिद कैंपस माता कामाख्या के मंदिर के ऊपर बनाए गए हैं.  उन्होंने दरगाह के सर्वेक्षण का मांग करते हुए आगरा की एक पिटीशन दिया था, जिसपर दिसंबर में पर सुनवाई होने वाली थी.

फिर बनेगा बड़ा मुद्दा?
इन 8 विवादित मजहबी जगहों के आसपास के ज्यादातर सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का दबदबा है. अगर संभल और बदायूं की कुछ सीटों को छोड़ दें तो इन इलाकों के सभी सीटों पर सत्तारूढ़ BJP पिछले कई चुनाव से काबिज है. लेकिन, 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है, खासतौर पर अयोध्या की सीट ने. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में मंदिर- मस्जिद विवाद को बीजेपी बड़ा मुद्दा बना सकती है.

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