Swine Flu: स्वाइन फ्लू एक संक्रामक वायरस है जो संक्रमिक व्यक्ति के सम्बन्ध में आने से फैलता है.
स्वाइन फ्लू को इन्फ्लूएंजा ए और H1N1 बीमारी के नाम से भी जाना जाता है. यह एक सांस से संबंधित बीमारी है जो केवल सूअरों में ही पाई जाती थी.
स्वाइन फ्लू का इंसानों में पहला केस 2009 में मिला था जिसके बाद 2010 में डब्ल्यूएचओ ने इसे महामारी घोषित कर दिया था. यह बीमारी सुअरों के साथ नजदीकी संबंध में आने से शुरू हुई थी. अब यह इंसान से इंसान में फैलता है.
आमतौर पर इसमें, बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, दस्त, खांसी और छींक आने जैसे लक्षण शामिल हैं. इस फ्लू के मामले गर्मी और मानसून सीजन में बढ़ जाते हैं. फ्लू के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के एक से तीन दिन बाद दिखाई देते हैं. यदि आपको सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, पेट दर्द, चक्कर जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
स्वाइन फ्लू कारण
स्वाइन फ्लू एक संक्रामक वायरस है जो संक्रमिक व्यक्ति के सम्बन्ध में आने से फैलता है. जब संक्रमित लोग खांसते या छींकते हैं, तो उस वायरस के छोटे कण हवा में फैल जाते है. यदि कोई इनके संपर्क में आता है या इस वायरस से हुई किसी दूषित जगह को छू लेता है तो उस व्यक्ति को भी स्वाइन फ्लू हो सकता है।
स्वाइन फ्लू से बचाव
इस बीमारी को ठीक करने के लिए H1N1 टीका लगाया जाता है. छह महीने से अधिक उम्र के बच्चों को इस बीमारी से बचने के लिए H1N1 फ्लू वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है जिससे स्वाइन फ्लू होने का खतरा खत्म हो सकता है. वहीं, इस फ्लू से पीड़ित मरीज को बीमारी के लक्षण दिखते ही जल्द से जल्द इलाज शुरू करने की सलाह भी दी जाती है.
स्वाइन फ्लू के उपचार
-फ्लू के दौरान खुद को हाइड्रेटेड रखें और ध्यान रहे कि शरीर में पानी की कमी न होने दें. -डॉक्टर से संपर्क करके वैक्सीन लगवाएं और दवाई लें. -खांसते और छींकते समय अपने मुंह को ढके ताकि दूसरों को यह फ्लू ना फैले. -किसी भीड़ वाली जगह पर भी जाने से बचे.
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