संगम नगरी प्रयागराज में शुरू हो रहे महाकुंभ के लिए देशभर से साधु-संत पहुंचने लगे हैं. महाकुंभ में आने वाले कई साधु-संत अपने अनोखे अंदाज और कठिन तपस्या के लिए चर्चा का विषय बने हुए हैं. इन्हीं में से एक हैं महाकाल गिरी बाबा. जो पिछले कई सालों से एक हाथ ऊपर उठाकर तपस्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह पूरी धरती के कल्याण के लिए यह तपस्या कर रहे हैं। अब उनका शरीर शव के समान है.
महाकाल गिरी बाबा पिछले नौ सालों से अपना बायां हाथ ऊपर उठाए हुए हैं. जिसके बाद से उन्होंने इसे कभी नीचे नहीं किया. उन्होंने कहा कि उनका हाथ नीचे नहीं रहता. वे इस हाथ से कोई काम नहीं करते.
महाकुंभ में अग्नि में बैठे बाबा ने बताया कि सालों से चल रही तपस्या की वजह से उनके नाखून काफी बढ़ गए हैं. उन्होंने कहा कि तपस्या में नाखून नहीं काटे जाते. उनकी जटाएं भी बढ़ गई हैं. हमारा शरीर मृतक के समान है. हम इस भूमि के उद्धार के लिए तपस्या कर रहे हैं.
उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपना शरीर त्याग दिया है. वो अपनी भक्ति में लीन रहते हैं. बाबा की इस साधना की वजह से कई लोग उन्हें हठयोगी भी कहते हैं, तो कुछ उन्हें हाथवाले बाबा या कील वाले बाबा भी कहते हैं. उन्होंने बताया कि अब उन्हें ऐसे ही रहने की आदत हो गई है. वो कहीं जाते भी हैं तो ऐसे ही रहते हैं. वो कार से कम ही सफर करते हैं, वो एक जगह से दूसरी जगह पैदल ही जाते हैं.
महाकाल गिरी बाबा ने बताया कि उन्होंने बहुत छोटी सी उम्र में ही संन्यासी जीवन में प्रवेश कर लिया था, जिसके बाद से वे धर्म की रक्षा के लिए तपस्या कर रहे हैं. बाबा ने बताया कि उन्होंने भगवान शिव की पिंडी अपने हाथों में ले रखी है. उनके हाथ में शिवलिंग विराजमान है इसीलिए वे अपना हाथ ऊपर उठाए रहते हैं. उनकी अनोखी तपस्या को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं. बाबा ने कहा कि वे जीवन की आखिरी सांस तक इसी तरह तपस्या करते रहेंगे.
ट्रेन्डिंग फोटोज़