Lupus: ल्यूपस एक क्रॉनिक (लंबे समय तक चलने वाला) प्रकार का ऑटोइम्यून रोग है. यह तब होता है जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करती है. इस हमले से सूजन होती है जो शरीर के कई हिस्सों को भी नुकसान पहुंचा सकता है.
Trending Photos
Lupus (महकदीप कौर): सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (SLE) को ल्यूपस भी कहा जाता है. ल्यूपस एक ऐसी बीमारी है जो तब होती है जब आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आपकी अपनी कोशिकाओं (tissues) पर हमला करती हैं. ल्यूपस आपके शरीर के कई अलग-अलग अंगों (organ) को प्रभावित कर सकता है जिसमें आपके जोड़, त्वचा, गुर्दे, रक्त कोशिकाएं, दिमाग, हृदय और फेफड़े हो सकते है.
ल्यूपस स्टेज
ल्यूपस की वैसे तो 6 स्टेज होती है परन्तु भारत में इसकी 4 स्टेज ही पाई जाती है. इन सभी स्टेज में मरीज को अपना पूरा ध्यान रखना होता है.
ल्यूपस के लक्षण :
ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होती है. ल्यूपस में थकान, बुखार, पेट में दर्द, जोड़ों का दर्द, जकड़न, सूजन, सांस लेने में तकलीफ, वजन कम होना, बालों का झड़ना, सिर दर्द, छाती में दर्द और त्वचा में जलन की शिकायत हो सकती है. ल्यूपस ज्यादा बडने पर आपकी त्वचा के छिद्र(skin pores) से रक्त(blood) रिसने लगता है तथा त्वचा पर विभिन्न प्रकार के चकत्ते हो सकते हैं. ल्यूपस में आपके शरीर के उन हिस्सों में सूजन या दर्द होने लगता है जिन हिस्सौ पर हमला होता है।
ल्यूपस के कारण :
इन करणों से हो सकता है ल्यूपस :-
-बहुत अधिक धूप के संपर्क में रहने से.
-कुछ दवाईओ का सूट ना करना.
-कुछ खाने पीने की चीजे की वजह से भी हो सकता है
-अधिक तनाव में रहना
-पर्यावरणीय बदलाव के कारणो से हो सकता है।
-ल्यूपस हार्मोनल भी हो सकता है.
-गर्भावस्था भी ल्यूपस का कारण हो सकता है.
डॉक्टर को कब दिखाए:
अगर आपको बुख़ार, पेट दर्द, आंखों के नीचे सूजन, आंखों का लाल होना तथा शरीर पर चकत्ते (body rashes) जैसे लक्षण एक साथ दिखाई दे तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और उनकी सलाह लेनी चाहिए.
उपचार :
डॉक्टरों द्वारा ल्यूपस के ठीक होने की संभावना न बराबर ही दी जाती है परंतु इसको रोकने के कुछ तरीके हैं.
-अगर ल्यूपस के कोई भी लक्षण आपको नजर आए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह ले.
-साथ ही दवाइयां भी नियमित रूप से लेनी चाहिए.
-ऐसा माना जाता है कि बुखार को रोकने वाली दवाई के सेवन से ल्यूपस को नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, मरीज को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाइयां लेनी चाहिए.
-सूरज की रोशनी(यूवी रेज) से बचना चाहिए.
-तनाव से दूर रहना चाहिए.
-पर्यावरण ना बदले.
-मिट्टी, धूल से दूर रहना चाहिए.
-अधिक ना थके.
-परदूषण से दूर रहे
-डॉक्टर की सलाह से ही स्किन प्रोडक्ट इस्तेमाल करे.
-स्मोकिंग और ड्रिंकिंग से बचें.
-सुबह और शाम में वर्कआउट जरूर करें.
-फ़ास्ट फ़ूड का सेवन ना करे.
-ज्यादा गर्मी में ना रहे.