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Kalashtami 2025: साल की पहली कालाष्टमी आज, जानें इस दिन की मुख्य जानकारियों

Kalashtami 2025: आज 21 जनवरी 2025 को कालाष्टमी मनाई जा रही है. कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित एक पावन दिन है, जिसमें मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस अवसर पर मंदिरों में विशेष सजावट, पूजा-अर्चना, और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. यहां कालाष्टमी से जुड़ी मुख्य जानकारियों को विस्तार से समझते हैं.

 

मंदिरों की भव्य सजावट

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मंदिरों की भव्य सजावट

कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है. मंदिर के मुख्य द्वार, गर्भगृह और परिसर को गेंदे, गुलाब, और अन्य रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है. संध्या आरती के समय सैकड़ों दीप जलाए जाते हैं, जो मंदिर को भव्य रूप देते हैं और कई मंदिरों में भगवान काल भैरव के विभिन्न रूपों की झांकियां दिखाई जाती हैं.

 

विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन

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विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन

भगवान को चूरमा, मठ्ठा, और सफेद मिठाई का भोग लगाया जाता है. भक्तों द्वारा भगवान काल भैरव की स्तुति में 'काल भैरव अष्टक' का पाठ किया जाता है मंदिरों में हवन का आयोजन भी किया जाता है. 

 

भक्तों की भारी भीड़

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भक्तों की भारी भीड़

भक्त  कालाष्टमी के दिन प्रातःकाल से ही मंदिर पहुंचते हैं.  चंडीगढ़, वाराणसी, उज्जैन और अन्य शहरों के काल भैरव मंदिरों में इस दिन खास भीड़ देखी जाती है. श्रद्धालु अपने परिवार और बच्चों के साथ भगवान के दर्शन करने आते हैं.

 

भजन-कीर्तन और कथा

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भजन-कीर्तन और कथा

कालाष्टमी के अवसर पर भजन-कीर्तन और धार्मिक कथाओं का आयोजन होता है. इनमें भगवान काल भैरव के जीवन और उनके चमत्कारों का वर्णन किया जाता है. संगीत मंडलियां और स्थानीय कलाकार भजन प्रस्तुत करते हैं, जिससे भक्तों का उत्साह बढ़ता है.

 

भक्तों की आस्था और मान्यताएं

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भक्तों की आस्था और मान्यताएं

ऐसा माना जाता है कि भगवान काल भैरव की पूजा से सभी भय और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. भक्त जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. कालाष्टमी व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

 

कालाष्टमी की पूजा-विधि

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कालाष्टमी की पूजा-विधि

प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं. उन्हें सफेद चंदन, काले तिल, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें. काल भैरव अष्टक' और 'ओम काल भैरवाय नमः' मंत्र का जाप करे  दिनभर व्रत रखें और संध्या के समय आरती करें.