बंटवारे के दौरान परिवार से बिछड़ी 90 साल की मुमताज, 75 साल बाद वापिस आई खुशियां...
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बंटवारे के दौरान परिवार से बिछड़ी 90 साल की मुमताज, 75 साल बाद वापिस आई खुशियां...

सिख परिवार में जन्म लेने के बाद भी मुस्लिम (Muslim) हो गई. अब 75 साल बाद जब मुमताज अपने सिख परिवार से मिली तो पूरा परिवार भावुक हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बंटवारे के दौरान उनकी मां की हत्या कर दी गई थी. उस दौरान मुमताज बीवी 2 या 3 साल की थी. 

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चंडीगढ़: 1947 में भारत दो भागों में बंट गया. इस विभाजन ने न केवल एक देश को विभाजित किया बल्कि कई परिवारों को भी विभाजित किया, लेकिन बिछड़े परिवार कभी-कभी करतारपुर कॉरिडोर पर मिलते हैं. ऐसा ही नजारा हाल ही में करतारपुर कॉरिडोर पर देखने को मिला. जहां एक पाकिस्तानी मुस्लिम महिला 75 साल में पहली बार अपने सिख भाइयों से मिली. दोनों को एक साथ लाने में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका रही है.

सिख परिवार में जन्म लेने के बाद भी मुस्लिम (Muslim) हो गई. अब 75 साल बाद जब मुमताज अपने सिख परिवार से मिली तो पूरा परिवार भावुक हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बंटवारे के दौरान उनकी मां की हत्या कर दी गई थी. उस दौरान मुमताज बीवी 2 या 3 साल की थी. 

मुमताज अपनी मां के शव के पास बैठी रो रही थी. तभी मोहम्मद इकबाल और उनकी पत्नी अल्ला रक्खी की नजर उस पर पड़ी तो गोद में उठा लिया. बंटवारे के बाद इकबाल बच्ची को शेखपुरा जिले स्थित अपने घर ले आया. यहां दोनों ने बच्ची का पालन पोषण किया और मुमताज नाम रखा. इतना ही नहीं, इकबाल और उनकी पत्नी ने कभी नहीं बताया कि मुमताज उनकी बच्ची नहीं है. उन्होंने हमेशा अपनी सगी बेटी जैसा प्यार दिया. उसकी पढ़ाई कराई और फिर सारे रीति रिवाज से शादी कराई.

दो साल पहले जब इकबाल की तबीयत खराब हुई तो उन्होंने मुमताज को सच बता दिया. उसने मुमताज से कहा कि वह उसकी बेटी नहीं है और वह मुस्लिम परिवार से नहीं आती है. वह एक सिख परिवार से हैं और विभाजन के समय मिले थे. मुमताज को सच बोलने के कुछ दिन बाद ही इकबाल की मौत हो गई.

सोशल मीडिया की अहम भूमिका
इकबाल की मौत के बाद मुमताज के बेटे शबाज ने सोशल मीडिया के जरिए अपने असली परिवार की तलाश शुरू कर दी. वह मुमताज के पिता का नाम जानता था. उसे पता चला कि मुमताज का असली परिवार पटियाला जिले के शूतराना में रहता है.

सोशल मीडिया पर दोनों परिवारों में बातें होने लगी. मुमताज के भाई सरदार गुरमीत सिंह, सरदार नरिंदर सिंह और सरदार अमरिंदर सिंह परिवार के सदस्यों के साथ करतारपुर कॉरिडोर में अपनी बहन से मिले.

बीबी मुमताज के भतीजे निर्भाई सिंह ने कहा कि उनकी मौसी मुमताज जल्द ही शूतराना आना चाहती थीं. उनके साथ उनका बेटा और बहू भी होंगे. उनकी बहू के पास पासपोर्ट नहीं है. पासपोर्ट बनने के बाद, वह अगले 20 दिनों के भीतर भारतीय वीजा के लिए आवेदन करेंगे.

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