"Himachal Pradesh में बिना पंजीकरण के आकर रहने वाला संत और हिंदू भी दुश्मन"
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"Himachal Pradesh में बिना पंजीकरण के आकर रहने वाला संत और हिंदू भी दुश्मन"

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर चल रहे विवाद के बीच शनिवार को हिंदू संगठनों ने शहर में एक रैली निकाली. इस दौरान ये लोग उन गलियों में गए जहां प्रवासी दुकानें चला रहे हैं. 

 

"Himachal Pradesh में बिना पंजीकरण के आकर रहने वाला संत और हिंदू भी दुश्मन"

नीतेश सैनी/मंडी: हिमाचल प्रदेश में उपजे अवैध मस्जिद विवाद के बीच जिला मंडी में एक बार फिर हिंदू संगठनों ने हुंकार भरी और शहर में रैली निकाली. इस रैली में संत समाज से साधु-संत विशेष रूप से शामिल हुए और गली-गली जाकर मंडीवासियों को जागरूक किया. इस रैली में बिलासपुर से रूपेश्वर गिरी, पंडोह से विष्णु मोहन, कांगनीधार से भरत दास, सौली खड्ड से शिव दास त्यागी और हरिद्वार से आए हुए दो संतों ने भाग लिया. 

इन्होंने पूरे शहर में एक जागरूकता रैली निकाली और उन गलियों में गए जहां प्रवासियों ने अपनी दुकानें खोली हुई हैं. इस दौरान सभी प्रवासियों ने अपनी दुकानें बंद रखी. संत रूपेश्वर गिरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जो हिमाचल का स्थायी मुसलमान है उसका कोई विरोध नहीं है, लेकिन प्रवासी के रूप में जो लोग यहां आ रहे हैं वे यहां की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाशत नहीं किया जाएगा.

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इस बात को लेकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रवासी के रूप में चाहे कोई संत ही क्यों न यहां आ रहा हों, लेकिन उसे भी पंजीकरण के बाद ही यहां रहने दिया जाना चाहिए. जो बिना पंजीकरण के यहां आकर रह रहा है वो चाहे हिंदू ही क्यों न हो, वह भी हमारा विरोधी है. 

रूपेश्वर गिरी ने मंडी शहर के भगवान मुहल्ले में लोगों को एक टेलर शॉप के बाहर संबोधित करते हुए पूछा कि लोग यहां सिर्फ महिलाओं के कपड़े सिलने ही क्यों आते हैं. हर जगह लेडीज टेलर क्यों बैठे हैं, क्या इन्हें जेंट्स के कपड़े सिलना नहीं आता. उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे चंद पैसों के लालच में महंगी दरों पर इन्हें दुकानें देना बंद करें, नहीं तो भविष्य के जम्मू कश्मीर और केरल की तरह यहां के लोगों को भी गंभीर हालातों का सामना करना पड़ेगा. 

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रूपेश्वर गिरी ने प्रदेश सरकारों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठाए. उन्होंने कहा कि जब 1954 में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ तब वर्ष 1951 से शिमला में वक्फ बोर्ड के नाम पर जमीनें कैसे हो गईं. इस बात की जानकारी खुद सीएम ने सदन में दी. उन्होंने कहा कि मुजायरा एक्ट के बाद बहुत से हिमाचलियों की जमीनें चली गईं, लेकिन वक्फ बोर्ड की जमीनों को आंच तक नहीं आई. उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड के नाम पर हिमाचल प्रदेश की जमीनों को लुटाने का काम हो रहा है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाशत नहीं किया जाएगा. 

इस रैली के दौरान हिंदू संगठनों के लोगों ने तरह-तरह के जेहादों का जिक्र करते हुए उनके मुर्दाबाद के नारे लगाए और हिंदू धर्म के जयकारों से शहर को गुंजायमान कर दिया. इस दौरान पुलिस का भी कड़ा पहरा देखने को मिला और शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा. जेल रोड़ पर विवादित मस्जिद के पास भी पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर रखे थे. हालांकि हिंदू संगठनों ने वहां जाने की कोशिश नहीं की.

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