Himachal: मनाली में देव आदेश लागू, 42 दिनों के लिए मंदिरों के कपाट बंद और ना चलेंगे TV-DJ
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Himachal: मनाली में देव आदेश लागू, 42 दिनों के लिए मंदिरों के कपाट बंद और ना चलेंगे TV-DJ

Manali: मनाली में देव आदेश के चलते बंद होंगे मंदिरो के कपाट, 42 दिन तक गांवों में नहीं होंगें कोई भी शोर वाले कार्य. देवता के कड़े आदेशों का पालन करेंगे ऊझी घाटी के ग्रामीण न लगेगा टीवी, न बजेगा DJ. मोबाइल भी हो जाएंगे साइलेंट.

 

Himachal: मनाली में देव आदेश लागू, 42 दिनों के लिए मंदिरों के कपाट बंद और ना चलेंगे TV-DJ

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के पर्यटन नगरी मनाली में एक गांव ऐसा भी हैं जंहा आज के आधुनिक समय में भी यंहा के लोगों के द्वारा प्राचीन संस्कृति को संजो कर रखा गया है और यंहा के गांववासी अब अगले डेढ महिने तक ना तो टीवी देखेंगे ना ही मन्दिर में पूजा होगी ना ही मोबाइल की घण्टीयां सुनाई देगी और ना ही किसी तरह का खेतों में कार्य होगा.

मनाली के कई गांवों में आज मकर संक्रांति के बाद ग्रामीण कड़े देव नियमों में बंधने जा रहे है. सिमसा में देवता कार्तिक स्वामी के मंदिर का कपाट आज संक्रांति पर बंद हो जाएगा, गौशाल गांव में कंचन नाग, व्यास ऋषि और गौतम ऋषि का मंदिर भी विधिवत पूजा के बाद बंद कर दिए जायेंगे. सिमसा गांव में एक महीने, जबकि गौशाल और आसपास के नौ गांवों में लोग 42 दिन देवता के नियमों का पालन करेंगे. गौशाल में टीवी, रेडियो बंद रहेंगे. दौरान न तो डीजे बजेगा और न ही गांव में शोर-शराबा किया जायेगा. 

गौशाल गांव के लोग अगले 42 दिन मनोरंजन के तमाम साधनों से दूर रहेंगे. गौशाल गांव में आज मकर संक्रांति पर मंगलवार को देवता कंचन नाग, ब्यास और गौतम ऋषि के मंदिर के कपाट बंद होते ही टीवी, रेडियो लगाने पर देव प्रतिबंध लग जाएगा. नौ गांवों में कृषि कार्य और गोशाला से गोबर निकालने पर प्रतिबंध रहेगा। 42 दिन बाद मंदिर के कपाट खुलेंगे, तब तक ग्रामीण देव आदेश का पालन करेंगे.

देवता के कारदार हरि सिंह ने कहा कि घाटी के नौ गांवों के लोग 14 जनवरी से देव प्रतिबंध में बंध जाएंगे. मोबाइल भी साइलेंट हो जाएंगे. उन्होंने कहा की यह परम्परा सदियों से चली आ रही है और आज भी परम्परा बखूबी निभाई जा रही है फिर चाहे व आज का युवा हो या फिर यंहा आने वाला पर्यटक सभी इस परम्परा को निभाते हैं.

देवता कार्तिक स्वामी मदिर के पुजारी मकर ध्वज शर्मा ने कहा की सिमसा गांव के साथ अन्य चार गांव में भी आज से बारह फ़रवरी तक किसी भी तरह के शोर और न ही कोई व्यक्ति अब उंची आवाज में बात कर सकता है ना ही खेतों का कार्य होगा. इसके अलावा मन्दिर में पूजा भी नही होगी और मन्दिरों की घंटीयों को भी बांद दिया गया है ताकि किसी तरह की कोई आवाज ना हो.

क्या है मान्यता
मान्यता है कि गांव के आराध्य देव 14 जनवरी से तपस्या में लीन हो जाएंगे. मकर संक्रांति पर देवता की मूर्ति पर कपड़े से छानी गई मिट्टी का लेप लगाया जाएगा. विधिवत पूजा के बाद कपाट को बंद किया जाएगा. 42 दिन बाद फागली उत्सव पर मंदिर के कपाट खुलेंगे. इस अवधि के दौरान देवताओं को शांत वातावरण मिले, इसके लिए ग्रामीण गांव में रेडियो व टीवी नहीं चलाएंगे और न ही खेतों का रुख करेंगे. खेतों में खोदाई से संबंधित कार्य नहीं होंगे.

ऊझी घाटी के गोशाल गांव सहित कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ तथा मझाच गांवों में व्यापक प्रतिबंध रहेगा.

42 दिन बाद देवता करेंगे भविष्यवाणी
42 दिन बाद आराध्य देवों के सम्मान में फागली उत्सव का आयोजन होगा. देवता स्वर्ग प्रवास से लौटते ही भविष्य में होने वाली सालभर की घटनाओं के बारे भी भविष्यवाणी करेंगे. मंदिर के अंदर हुए लेप को निकाला जाएगा. इसमें कुमकुम, सेब के पेड़ों के पत्ते, अनाज के दाने आदि निकलेंगे. इसके आधार पर सालभर की भविष्यवाणी होगी.

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