Lavi Fair: शिमला जिले के रामपुर बुशहर में भारत तिब्बत व्यापारिक संबंधों का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय लवी मेला आज से शुरू हो गया है. हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रकाश शुक्ल ने मेले का विधिवत शुभारंभ किया.
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Lavi Fair Rampur 2024: हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के रामपुर बुशहर में मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय लवी मेला विधिवत रूप से आज से शुरू हुआ. मेले का शुभारंभ हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने किया. मेले के उद्घाटन अवसर पर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए सांस्कृतिक दलों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई.
इस दौरान किन्नौर, सिरमौर और चंबा के सांस्कृतिक दलों ने पहाड़ी पारंपरिक संस्कृति की झलक पेश की. मेले में किन्नौरी व बुशहरी उत्पादों के अलावा ऊनी वस्त्र आकर्षण का केंद्र रहे. लवी मेला विशुद्ध रूप से व्यापारिक मेला है और देश के विभिन्न हिस्सों से व्यापारी आते हैं. रामपुर के पाट बांग्ला मैदान में यह उत्सव 11 नवंबर से शुरू होकर 14 नवंबर तक आधिकारिक रूप में चलता है.
हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने मेले के उद्घाटन के बाद सरकारी विभागों द्वारा लगाई गई विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों को दर्शाने वाली प्रदर्शनियों का भी अवलोकन किया. उसके बाद किन्नौरी एवं तिब्बती मार्केट में रखे गए उत्पादों की व्यापारियों से विस्तृत जानकारी ली और उनके महत्व को भी समझा. उन्होंने बताया कि मेले और त्योहार हमारी समृद्ध संस्कृति के प्रतीक है. इन्हें संजोए रखने में जहां सरकारी प्रयास होने चाहिए. वहीं लोगों को भी इस दिशा में कदम बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा अंतर्राष्ट्रीय लवी जैसे मेले हमारे पुरखों से सैकड़ों वर्षों से मनाया जा रहा है और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा.
शिव प्रताप शुक्ला ने कहा वास्तव में लवी व्यापारिक मेला है. इस मेले में बाहर से भी लोग आते हैं और यहां के लोगों की भी भागीदारी रहती हैं. साथ ही साथ यह संस्कृतियों का भी मिलन है. ऐसे मेले को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन को भी प्रयास करना चाहिए और यहां के लोगों को भी अपनी संस्कृति बचाने में भूमिका निभानी होगी.
उन्होंने कहा लवी मेला बहुत महत्वपूर्ण है. भारतीय संस्कृति को पुराने जमाने में भी बाहर से लोग आकर लेकर गए. उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने भी एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना की है. हमें उसके आधार पर इस देश को आगे बढ़ने का काम करना होगा. उन्होंने मेले के दौरान कुंभ का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि गंगा एक जीवनदायनी है, जिस तरह से यहां बहने वाली सतलुज है. वह भी कहां-कहां होकर गुजरती है और यह भी जीवन दाहिनी है.
रिपोर्ट- विशेषर नेगी, रामपुर